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गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

अक्तूबर 21, 2021

Horror Stories in Hindi - रात के अंधेरे में डराता सन्नाटो का शोर || Hindi Stories Blog

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Hello दोस्तो मैं यतिन आपके लिए एक नई स्टोरी लेकर आया हूं||


रात के अंधेरे में डराता सन्नाटो का शोर


जैसलमेर शहर से 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक ऐसा गांव जिसमें अब कोई रहना नहीं चाहता. लोग कहते हैं उस गांव में भूतों और आत्माओं का डेरा है. कहा तो यह भी जाता है कि उस गांव में फैली दहशत के पीछे जो कहानी है वह उससे भी ज्यादा भयानक और खतरनाक है. जिसकी बुरी नजर की वजह से जो भी उस गांव में आता है वह अकाल मौत का शिकार बन जाता है.

यूं तो हम सभी ने कभी ना कभी भूत-प्रेत पिशाचों से जुड़ी कहानियों को पढ़ा या सुना होगा. हो सकता है कुछ ने ऐसी पारलौकिक शक्तियों का सामना भी किया हो लेकिन जो कहानी हम यहां आपको सुनाने जा रहे हैं वह थोड़ी अविश्वस्नीय जरूर है लेकिन स्थानीय लोगों के लिए वह एक बेहद खौफनाक सच है जिसका सामना उन्हें अकसर या कहें शायद रोज ही करना पड़ता है.

मरने के बाद भी जिन्दा है वो

कुलधरा, जैसलमेर से 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक गांव अपनी दहशत के लिए आसपास कुख्यात बन गया है. आपको यह बात तो पता ही होगी कि जिन स्थानों को पारलौकिक ताकते अपने कब्जे में ले लेती हैं उन स्थानों पर बसने वाले लोग या तो स्वयं उस स्थान को छोड़ कर चले जाते हैं और अगर नहीं जाते तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. कुलधरा भी ऐसा ही एक गांव है जहां पहले ब्राह्मण समुदाय का वास था. ऐसा माना जाता है कि सन 1825 में इस गांव में रहने वाले पालीवाल ब्राह्मण और आसपास के 84 गांवों के लोग रातोंरात अपना घर छोड़कर चले गए थे. सन 1300 से इस गांव में पालीवाल ब्राह्मण की पीढ़ियां रहा करती थी और रक्षाबंधन के एक दिन सभी इस गांव को छोड़कर चले गए. ऐसा माना जाता है इस दिन कुछ ऐसा दर्दनाक घटा था जिसके बाद आज तक भी बहुत से पालीवाल ब्राह्मण रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाते.

मौत से छीनकर अपनी जिंदगी दुबारा वापस लाई बड़े पैमाने

पर हुए इस पलायन के पीछे की कहानी कुछ यह कहती है.

जैसलमेर के दीवान सलीम सिंह को कुलधरा समेत 84 गांवों के मुखिया की खूबसूरत बेटी से प्यार हो गया था. सलीम सिंह ने गांव के लोगों को यह धमकी दी थी कि अगर उसका विवाह उस लड़की के साथ ना हुआ तो वह करों में और ज्यादा वृद्धि कर देगा. ऐसे हालातों में गांव के मुखिया ने उस स्थान को छोड़कर जाने का निश्चय कर लिया और अपने पीछे यह श्राप छोड़ गए कि जो भी उनके जाने के बाद इस गांव में रहेगा या बसने की कोशिश करेगा वह अपनी जान से हाथ धो देगा. मुखिया और उसकी के जाने के बाद गांव के बहुत से लोग धीरे-धीरे कर के बीमार पड़ने लगे या फिर अकारण ही मृत्यु के ग्रास बनते गए. इस घटना के बाद कुलधरा और आसपास के 84 गांव के लोगों ने अपना-अपना घर छोड़ दिया और तब से लेकर अब तक कोई भी उस गांव में बसने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है.


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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

अक्तूबर 19, 2021

Love Story in Hindi - ढोला-मारू” की प्रेम कहानी || Hindi Stories Blog

 


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ढोला-मारू” की प्रेम कहानी,

ढोली ने दोहों में राजकुमारी की खूबसूरती की व्याख्या कुछ ऐसे की। उसके चेहरे की चमक सूर्य के प्रकाश की तरह है, झीणे कपड़ों में से शरीर ऐसे चमकता है मानो स्वर्ण झांक रहा हो। हाथी जैसी चाल, हीरों जैसे दांत, मूंग सरीखे होंठ है। बहुत से गुणों वाली, क्षमाशील, नम्र व कोमल है, गंगा के पानी जैसी गोरी है, उसका मन और तन श्रेष्ठ है। लेकिन उसका साजन तो जैसे उसे भूल ही गया है और लेने नहीं आता।

ढोली पूरी रात ऐसे ही गाता रहा, सुबह राजकुमार ने उसे बुलाकर पूछा तो उसने पूंगल से लाया राजकुमारी का पूरा संदेशा सुनाया। आखिर साल्हकुमार ने अपनी पहली पत्नी को लाने हेतु पूंगल जाने
का निश्चय किया पर उसकी दूसरी पत्नी मालवणी ने उसे रोक दिया। उसने कई बहाने बनाए पर
मालवणी हर बार उसे किसी तरह रोक देती।

आखिरकार एक दिन राजकुमार एक बहुत तेज चलने वाले ऊंट पर सवार होकर अपनी प्रियतमा को लेने पूंगल पहुंच गया। वियोग में जल रही राजकुमारी अपने प्रियतम से मिलकर खुशी से झूम उठी। आखिर उसे उसका प्रेम जो मिल गया था। दोनों ने पूंगल में कई दिन बिताए। दोनों एक दूसरे में खो गए। एक दिन दोनों ने नरवर जाने के लिए राजा पिंगल से विदा ली।

कहते हैं रास्ते के रेगिस्तान में राजकुमारी को सांप ने काट लिया पर शिव पार्वती ने आकर उसको जीवन दान दे दिया। लेकिन दोनों की मुसीबतें यहीं समाप्त नहीं हो रही थीं, इसके बाद वे उमर-सुमरा के राजकुमारी को पाने के लिए रचे षडय़ंत्र में फंस गए।

उमर-सुमरा साल्हकुमार को मारकर राजकुमारी को हासिल करना चाहता था सो वह उसके रास्ते में जाजम बिछाकर महफिल सजाकर बैठ गया। राजकुमार सल्हाकुमार अपनी खूबसूरत पत्नी को लेकर जब उधर से गुजरा तो उमर ने उससे मनुहार की और उसे रोक लिया। राजकुमार ने राजकुमारी को ऊंट
पर बैठे रहने दिया और खुद उमर के साथ अमल की मनुहार लेने बैठ गया। (रेगिस्तानी इलाकों में किसी भी अतिथि की मनुहार या स्वागत अफीम के साथ की जाती है, अफीम को अमल कहते हैं)

इधर, ढोली गा रहा था और राजकुमार व उमर अफीम की मनुहार ले रहे थे। मारू के देश से आया ढोली बहुत चतुर था, उसे उमर सुमरा के षड्यंत्र का ज्ञान आभास हो गया था। ढोली ने चुपके से इस षड्यंत्र के बारे में राजकुमारी को बता दिया। राजकुमारी भी रेगिस्तान की बेटी थी, उसने ऊंट के एड मारी। ऊंट भागने लगा तो उसे रोकने के लिए राजकुमार दौड़ा, पास आते ही मारूवणी ने कहा – धोखा
है जल्दी ऊंट पर चढ़ो, ये तुम्हें मारना चाहते हैं। इसके बाद दोनों ने वहां से भागकर नरवर पहुंचकर ही दम लिया। यहां राजकुमारी का स्वागत सत्कार किया गया और वो वहां की रानी बनकर राज करने लगी।

इतिहास में इस प्रेमी जोड़े को ढोला मारू के नाम से जाना जाता है। तब से आज तक उनके नाम के गाने पूरे जोर-सोर से गाए जाते हैं और उनके प्रेम का गुनगान किया जाता है।

ढोला को रिझाने के लिए दाढ़ी (ढोली) द्वारा गाये कुछ दोहे –

आखडिया डंबर भई,नयण गमाया रोय |
क्यूँ साजण परदेस में, रह्या बिंडाणा होय ||

आँखे लाल हो गयी है , रो रो कर नयन गँवा दिए है,साजन परदेस में क्यों पराया हो गया है |

दुज्जण बयण न सांभरी, मना न वीसारेह |
कूंझां लालबचाह ज्यूँ, खिण खिण चीतारेह ||

बुरे लोगों की बातों में आकर उसको (मारूवणी को) मन से मत निकालो | कुरजां पक्षी के लाल बच्चों की तरह वह क्षण क्षण आपको याद करती है | आंसुओं से भीगा चीर निचोड़ते निचोड़ते उसकी हथेलियों में छाले पड़ गए है |

जे थूं साहिबा न आवियो, साँवण पहली तीज |
बीजळ तणे झबूकडै, मूंध मरेसी खीज ||

यदि आप सावन की तीज के पहले नहीं गए तो वह मुग्धा बिजली की चमक देखते ही खीजकर मर जाएगी | आपकी मारूवण के रूप का बखान नहीं हो सकता | पूर्व जन्म के बहुत पुण्य करने वालों को ही ऐसी स्त्री मिलती है |

नमणी, ख़मणी, बहुगुणी, सुकोमळी सुकच्छ |
गोरी गंगा नीर ज्यूँ , मन गरवी तन अच्छ ||

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सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

अक्तूबर 18, 2021

Love Story in Hindi - 16 साल की प्रेम कहानी || Hindi Story Blog


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इंदौर. 16 साल की प्रेम कहानी। कहानी में कई मोड़। एक्सीडेंट में लड़का लकवाग्रस्त हो गया। एमबीए लड़की फिर भी शादी को राजी। परिवार की सहमति नहीं थी। किसी तरह लड़के के घरवाले माने और दुल्हन ने व्हीलचेयर पर बैठे दूल्हे को वरमाला डाली। लोगों को पता चला तो इस प्रेम कहानी की मिसाल देने लगे। लड़की के घरवालों तक बात पहुंची। उन्हें लगा कि जिसकी मिसाल सब दे रहे हों उसमें गलत क्या है? मां ने बेटी को घर बुलवाया और उसे आशीर्वाद दिया। यह कहानी है गौरव श्रीवास्तव और सविता चौबे की। फरवरी में जब सविता ने गौरव से शादी की तो माता-पिता ने दूरी बनाए ली थी। वे इस शादी को लेकर राजी नहीं थे, लेकिन सविता के कदम की सभी ने सराहना की और उसकी मिसाल दी जाने लगी तो माता-पिता को गर्व महसूस हुआ। सविता कहती है पहले मां को लगता था कि लोग क्या कहेंगे? समाज को क्या जवाब देंगे पर मीडिया में खबर आने के बाद पूरे देश से परिजनों को फोन आए। सबने बधाई दी। लोग क्या कहेंगे का सवाल गर्व में बदल गया। मां को अब भी इस बात की चिंता है कि आगे की चुनौतियों का सामना हम कैसे करेंगे, लेकिन मैं हमेशा उन्हें कहती हूं कि चुनौतियां ही हमें जीने की नई राह दिखाती हैं।' सांत्वना नहीं मार्गदर्शन चाहिए गौरव पिछले दो साल से विनायक कंसलटेंसी के नाम से जॉब प्लेसमेंट का काम कर रहे हैं। गौरव और परिजन कहते हैं हमें लोगों के सांत्वना की जरूरत नहीं बल्कि मार्गदर्शन चाहिए। गौरव आसानी से लेपटॉप पर सारा काम कर लेते हैं। कहीं भी आने-जाने के लिए उनके पास ऑटोमेटिक व्हीलचेयर है और एक विशेष कार भी। रांग नंबर पर बातचीत से शुरू हुआ था प्यार का सफर गौरव कहते हैं- 18 साल पहले 1998 में सविता से एक रांग नंबर लग गया, जो मेरे घर का था। फोन उठाकर जब बात की तो सविता ने पूछा कि कहां से बोल रहे हैं। मैंने मजाक में कह दिया चिडियाघर से। दोनों हंसे और फोन रख दिया। कुछ दिन बाद दोबारा फोन किया और इस तरह बातें शुरू हो गई। करीब तीन माह बाद साकेत नगर में एक दोस्त के घर के नीचे दोनों मिले। मिलने का सिलसिला बढ़ा। करीब सात साल तक ऐसे ही चलता रहा। मैं कंस्ट्रक्शन का बिजनेस करने लगा। दोनों ने शादी के बारे में सोचा और 2005 में घर वालों को बता दिया। अलग-अलग समाज के होने के कारण दोनों के घरवालों ने इनकार कर दिया। मगर हम दोनों कहां मानने वाले थे। एक-दो साल बाद जब दोनों परिवारों को लगा कि ये नहीं मानेंगे तो वो थोड़ा तैयार हुए। जन्म कुंडलियां मिलाई तो सविता मंगली निकली। इस पर जो बात बनी थी वो भी बिगड़ गई। दोनों परिवारों ने साफ इनकार कर दिया। दोनों परिजनों को मनाने में लगे रहे। सविता कहती हैं- इसी बीच 17 अगस्त 2008 को गौरव अपने तीन दोस्तों के साथ महू के पास वांचू पाइंट गए थे। उनकी कार खाई में गिर गई। जब गौरव को दोस्तों ने बाहर निकाला तो उनका शरीर काम नहीं कर पा रहा था। अस्पताल गए तो डॉक्टरों ने बताया कि स्पाइनल इंज्युरी होने के कारण शरीर को लकवा हो गया है। सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई लेकिन तब भी ये प्यार कम नहीं हुआ। परिवार वालों ने इस दुर्घटना के पीछे मेरे मंगली होने को जिम्मेदार ठहराया। गौरव से मिलने घर जाती तो घर वाले मिलने नहीं देते। घंटों घर के बाहर ही बैठी रहती। कुछ समय बाद, आखिर हमारे प्रेम और समर्पण को गौरव के परिवार ने भी समझा और मुझ पर लगाई रोक हटा दी। गौरव ने मुझसे कहीं और शादी करने के लिए कहा। मेरे परिवार ने लड़का भी देख लिया लेकिन जल्दी ही हमारी समझ में आ गया कि एक-दूसरे के बिना नहीं जी सकते। तय हो गया कि कुछ भी हो, शादी करेंगे। पहले कोर्ट में शादी, फिर वरमाला कोर्ट में 17 फरवरी को गौरव और सविता ने शादी कर ली। परिवार के इकलौते बेटे की शादी का जश्न भी जरूरी था। इसलिए 22 फरवरी को साकेत क्लब में गौरव ने समारोहपूर्वक सविता की मांग में सिंदूर भरकर सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाई। पूरे कार्यक्रम से सविता के माता-पिता ने दूरी बनाए रखी, हालांकि सविता का भाई जरूर शामिल हुआ।

रविवार, 17 अक्तूबर 2021

अक्तूबर 17, 2021

Horror Story in Hindi - परेशान आत्मा || Hindi Stories Blog


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हेल्लो दोस्तों मैं अजय आप लोगो के लिए एक और कहानी ले के आया हूँ जो कि एक परेशान आत्मा की है! यह कहानी एक गांव की है जिसका नाम है कोलागढ़ कोलागढ़ का जंगल बहुत भयानक है! उस जंगल मैं भूतों प्रेतों का का ज्यादा डर था! वहां के लोगो का मानना था कि आत्माए भूत- प्रेत होते हैं!उन्होंने भी इस बात पर तब यकीन किया जब उन्होंने यह सब अपनी आखों से देखा! उस गाँव मैं एक औरत थी उसका दिमाग कुछ ठीक नहीं था उसका पति भी एक एक्सीडेंटमैं मर गया था तब से वह कुछ अजीब सी हो गयी थी कुछ लोग उसे पागल कहते थे!एक बार की बात थी की सुबह-सुबह गांव का एक आदमी जिसका नाम भोला राम था! वह शहर की और कुछ ज़रूरी काम से निकल पड़ा गांव के आने जाने का एक ही रास्ता था वह भी जंगल से गुजरता था!इसलिए लोग उसमें अँधेरे मैं डर के मारे नहीं जाते थे और शाम होते ही कोई जंगल की तरफ नहीं जाता था!भोला राम जब उस जंगल से जा रहा था गांव से कुछ दूर ही जंगल मैं उसे एक औरत की लाश पेड़ पर लटकती नज़र आई वह एक दम डर गया और भागता हुआ गांव वापस आया! कुछ लोगो ने उसे इस तरह से भागते देख कहा क्या हुआ भोला राम तुम तो अभी शहर के लिए निकले थे और तुम भागते हुए वापस क्योँ आ गए! तब भोला राम ने बताया कि मैंने अभी किसी की लाश को पेड़ पर लटकते देखा वह लाश किसी औरत की है! देखते-देखते सारा गांव इकट्ठा हो गया कि क्या हो गया कहाँ है लाश चलो चलकर देखते हैं! तब सारा गांव उसे देखने को चल दिया देखते क्या हैं कि एक औरत की लाश पेड़ पर लटक रही है! देखते ही गांव वालों ने कहा कि यह तो पागल लग रही है!कुछ लोगों ने कहा इसे नीचे उतारो और इसका दाह संस्कार कर दो कुछ लोगो ने कहा छोड़ो इसका है ही कौन जो इसे आग देगा वेसे भी इससे सारा गांव परेशान हो गया था चलो इससे तो पीछा छूटा! कुछ बूढ़े लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं कहते शरीर का दाह संस्कार करना ज़रूरी होता हे नहीं तो उसकी आत्मा भटकती रहती है! तो कुछ लोगों ने कहा कि तो जा कर उतार ले उसे और करदे दाह संस्कार बड़े आये सुझाव देने वाले वेसे भी इस जंगल मैं आत्माओ की कमी नहीं है और एक और आत्मा सही चलो धीरे धीरे सारे लोग चलते बने दोस्तों आठ दस दिन तक वह लाश ऐसे ही पेड़ पर लटकती रही किसी ने उसे उतारा तक नहीं !एक दिन अचानक उस लाश की रस्सी टूटकर पेड़ों पर अटक गयी और पत्तो से छुप गयी!समय बीतता गया एक दिन गाँव का हरिया नाम का व्यक्ति उस राते से जा रहा था कि उसे वही पागल सामने दिखाई दी वह एक दम डर गया उसका सारा शरीर कांपने लगा और उसके पलक झपकते ही वह गायब हो गयी हरिये ने सोचा कि मैं तो मन मैं ऐसे ही सोच रहा था! और वह आगे चल दिया तभी एक दम उसकी और एक सांड दोड़ते हुए आया और उसे जोर से टक्कर मार के चला गया हरिया उल्टा गिरा उसके बहुत जोर से चोट आई उसने जैसे ही पीछे मुड के देखा तो कोई नहीं उसने जैसे ही फिर आगे को देखा तो उसके आगे एक औरत कड़ी हो गयी वह एक दम डर गया और कांपने लगा उसकी शक्ल तो ऐसी थी कि तरफ गाल की हड्डियाँ और एक तरफ जला हुआ सा चेहरा आंखें अन्दर धंसी हुई नाख़ून बड़े बड़े वह उसे देखकर ऐसा डरा कि वह बेहोश होके गिर पड़ा उसकी आंखें खुली तो वह एक दम डर गया उसने अपने आप को घने जंगलों के बीचो बीच पाया उसके पेट मैं तो पानी हो गया चरों तरफ से आवाजें आ रही थी कहीं पत्तों मैं खर खर की आवाजें तो कहीं शेर के धहड़ने की आवाजें वह इतना डर हुआ था कि उसे तो भागना ही नहीं आ रहा था वह वहां से धीरे धीरे डरता हुआ जंगल मैं से भटकता हुआ बाहर आया उसे जंगल से निकलते-निकलते अँधेरा हो गया था वो अब और डर रहा था कि पहले तो एक भूत था पर अब ना जाने कितनो से पला पड़ेगा पता नहीं आज मैं यहाँ से जिन्दा निकलूंगा कि नहीं उसके मन मैं अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे वह भागता ही चला जा रहा था भागते भागते वो जाने कैसे उस जंगल से बाहर निकल के आया उसे इस हालत मैं देख कुछ लोगो ने उससे पुछा कि इतनी रात को कहाँ से आ रहे हो तुम्हें डर नही लगता क्या उसने कुछ भी जवाब नहीं दिया उसे विश्वाश नहीं हो रहा था कि मैं गांव मैं जिन्दा आ गया हूँ उसकी हालत देखकर कह रहे थे कि इस हरिया को क्या हो गया है!वह घर पहुंचा और जाकर कि ओढ़ कर सो गया उसकी औरत ने उसे खाना खाने के लिए कहा पर उसने कुछ जवाब नहीं दिया! उसने रत को एक सपना देखा और उस सपने मैं उसी परेशान आत्मा को देखा वह उससे रो रो कर कह रही थी मुझे बचालो मुझे इस नरक से बचा लो यह लोग मुझे मार डालेंगे ऐसा सपना देख कर वह उठ खड़ा हुआ उसके पशीना निकल आया था और वह यह सोच रहा था कि यह सब मेरे साथ क्योँ हो रहा है! सुबह हो गयी लेकिन हरिया नहीं जगा तब उसकी पत्नी ने उसे जगाने के हाथ लगाया तो उसे उसके चहरे मैं उसी का चहरा दिखा वह चिल्ला पड़ा तब उसकी ने कहा क्या हुआ तुम शाम से कुछ अजीब से डरे हुए लग रहे हो न शाम को खाना खाया तुम्हें आखिर हुआ क्या है! मुझे बताओ तब उसने सारी बात बतायी ! तब वह जा कर समझी कि आप तभी परेशान हो!धीरे-धीरे यह बात सारी गांव मैं फेल गयी कि वह पागल औरत भूत बन गयी है! तभी कुछ लोगों ने बताया कि रात को यही आवाज कुछ लोगो ने सुनी जो जंगल से आ रही थी कि मुझे बचाओ मुझे इस नरक से निकालो अब तो सारे लोग परेशान थे कि शहर का जाने का रास्ता भी बंद हो गया अब हम लोग क्या करैं !तब कुछ लोगों ने कहा कि हम लोगों को किसी महान आदमी की सलाह लेनी होगी कि यह सब मांजरा क्या है! तब किसी एक आदमी ने कहा कि पास के गांव मैं नत्थीलाल भगत जी रहते हैं! वह आत्माओं के बारे मैं बहुत कुछ जानते हैं!जब सुखिया के लड़के को एक आत्मा ने पकड़ लिया था तब उन्ही ने उस आत्मा से उसे छुड़ाया था!तब कुछ लोगों ने कहा यही ठीक रहेगा! सब लोगों ने उस भगत जी को गांव मैं बुलाया और उन्हें साड़ी घटना बता दी भगत जी ने कहा कि तुमने उसके शरीर को न जला कर बहुत बड़ी गलती कर दी चाहे वो कैसी भी थी इतना बड़ा जंगल हो के भी तुम लोगों से चार लकड़ियों का बंदोबस्त नहीं हो पाया था! इन्शान कैसा भी हो जब वह मर जाता है तो उसका दुश्मन भी उसकी अर्थी को कन्धा देने को आ ही जाता है! पर तुमने तो सारी सीमायें तोड़ दी चलो अब जो भी हो गया है उससे निपटने के लिए अब तैयारी करो! तब भगत जी ने हवन किया और अपना ध्यान लगा के देखा तो उसे वह आत्मा बंधी हुई नज़र आई तब पंडित जी ने उसे पुछा कि तुम्हें यहाँ किसने बांध रखा है तब उसने कहा कि मुझे एक दरिन्दे ने बाँध रखा है पहले उसने मुझे मार के पेड़ पर लटका दिया था!फिर गांव वालों ने मेरे शरीर का अंतिम संस्कार भी नहीं किया! मेरे शरीर को उसने कहीं छुपा के रख दिया है इसने मेरी आत्मा को कैद कर लिया है!जब तक मुझे मुक्ति नहीं मिलेगी इससे जब तक मेरे शरीर का अंतिम संस्कार नहीं हो जाता मैंने हरिया को भी यह बात बतानी चाही जब तक मैं उसे कुछ बताती पर उससे पहले उस वहसी दरिन्दे ने उसे चोट पहुंचा कर बेहोश कर दिया था तब मैंने उसे उससे बचा लिया था!तब पंडित जी सब समझ गए और कहा कि तुम चिंता मत करो मैं तुम्हें अवश्य मुक्ति दिलाऊँगा! तब भगत जी ने आखें खोली तब उन्होंने कहा चलो मुझे उस पेड़ के पास ले चलो जहाँ वह मरी थी! पंडित जी ने कहा की जिस तरीके से अंतिम संस्कार करते है वह सारा सामान ले चलो तब गांव वाले सारा सामान लेकर चल दिए पंडित जी आगे आगे और गांव वाले पीछे-पीछे उन्होंने देखा की वह पेड़ तो बहुत बड़ा हो गया है वह बहुत घना हो गया है और लाश का कुछ भी अता पता नहीं है! न हीं उसकी हड्डियों का तब पंडित जी ने कहा की सारे लोग ऊपर चढ़ के ढूँढो हमें यह काम शाम होने से पहले करना है! तब सारे लोग उस पेड़ पर चढ़ कर उस लाश को ढूँढने लगे बहुत देर तक वह लाश नहीं मिली सारे लोग सोचने लगे लाश गयी तो गयी कहाँ न हड्डियों क पता कहा गयी एक भी हड्डी नहीं मिली तब पंडित जी ने नीबू दे दिया सबको और कहा जहाँ यह नीबू लाल हो जाये समझना वहीँ पर लाश है!दो तीन मिनट बाद एक आदमी ने कहा यह रही लाश यह तो हड्डियों का ढांचा है! उसका इतना कहते ही सारे लोग चीखने लगे भूत भूत उनके सामने एक भयानक आदमी खड़ा है उसके यह बड़े-बड़े दांत आंखें लाल-लाल मुंह भेडिये जैसा ये बड़े नाखून लोग डर के मारे ऊपर से कूद गए एक को तो उस भेडिये ने ऐसा पकड़ के फेंका की वह सीधा नीचे आ के गिरा हा हा हा हा चिल्लाने लगा कोई नहीं ले जाएगा इसे यह मेरी है इसे मैंने वर्षों से सजा के रखा है उसने गुस्से मैं सारा पैड झकझोर दिया ऐसा होते देख पंडित जी ने मंत्र पढना शुरू किया पंडित जी को मंत्र पढ़ते देख उसने उन पर हमला बोल दिया पंडित जी को उठा कर फेंक दिया पर पंडित जी के मंत्र बंद नहीं हुए उन्होंने जो मंत्र पढ़ पढ़ के उसके ऊपर मिटटी फेंकी उसके शरीर पर जहाँ जहाँ मिटटी पड़ी उसका शरीर वहीँ से गलता जा रहा था उसका एक हाथ टूट कर गिरा वह पंडित जी के ऊपर ऐसा झपटा पंडित जी उस जगह से हट गए और वह नीचे जा गिरा पंडित जी ने फिर मंत्र पढ़ के उसके शरीर पर मारा वह वहीँ ढेर हो गया! उसकी आत्मा निकल के एक गांव वाले के अन्दर घुश गयी उसने गांव वालों को ही मारना शुरू कर दिया उसने तो एक का शिर फाड़ दिया और एक का हाथ चबा गया इतना खतरनाक होता जा रहा था उधर शाम होती जा रही थी तब पंडित जी ने उसकी और रस्सी फेंकीऔर दूसरी और एक आदमी ने पकड़ के उसे एक पेड़ से बांध दिया और उसको दो चार मंत्र पढ़ के मारे और लोगों से कहा शाम होने वाली है इससे पहले यहाँ और आत्माएं आये पहले उस शव को नीचे उतारो और उसका अंतिम संस्कार कर दो तब कुछ लोगों ने उसे उसे उठाकर लकड़ियों पर लिटा करा आग लगा दी वह पेड़ से बंधा हुआ चिल्लाए जा रहा था मत जलाओ उसे मत जलाओ उसे देखते देखते वह हड्डियाँ राख मैं परवर्तित हो गयी उसमें से एक ज्वाला उठती उई बाहर आई और पंडित जी को नमस्कार किया और कहा कि अगर इसको मारना हे तो उसके पहले वाले शरीर को जला दो तब वह खुद उसके शरीर से निकल जाएगा ऐसा कहते हुए वह आग का गोला बनकर आकश कि ओर चली गयी तब पंडित जी ने देर न करते हुए उसके शरीर को भी जला दिया तब वह फिर चिल्लाया मुझे मत जलाओ मुझे मत जलाओ तब तक आग उसके शरीर को जला चुकी थी!ओर उसकी आत्मा उस गांव वाले के शरीर से निकल कर आकाश मैं चली गयी तब उस आदमी को रस्सी से छोड़ दिया! तब उसका शरीर होश मैं आया! तब सब लोग उसे लेकर गांव आये तब सबने भगत जी को राम-राम कहा ओर भगत जी अपने गांव चले गए तब से उस गांव शांति आ गयी!

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बुधवार, 13 अक्तूबर 2021

अक्तूबर 13, 2021

Sad Love Story in Hindi - प्यार बना पागलपन || Hindi Stories Blog


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दोस्तों इस दुनिया में प्यार करने वाले बहुत है और इसीलिए मैं उन सबके साथ अपनी इस Hindi Love Story को शेयर करना चाहती हू ताकि हर किसी को पता चले कि प्यार में कैसे-कैसे experience होते है।दोस्तों इस दुनिया में प्यार करने वाले बहुत है और इसीलिए मैं उन सबके साथ अपनी इस Hindi Love Story को शेयर करना चाहती हू ताकि हर किसी को पता चले कि प्यार में कैसे-कैसे experience होते है।



मेरा नाम नेहा है और ये उन दिनों की बात है जब मैं ग्रैजुएशन फ़र्स्ट इयर में थी। मैंने एक इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स जॉइन किया था। वहाँ मेरी मुलाकात रोहित से हुई। रोहित बहुत हैंडसम लड़का था। कुछ ही दिनों में हम दोनों मे अच्छी दोस्ती हो गई। क्लास खत्म होने के बाद हम बाहर खड़े होकर घंटों बातें करते थे।



मैं मन ही मन रोहित को चाहने लगी थी। लेकिन रोहित के मन में मैं नहीं, मेरी फ्रेंड पूजा थी। पूजा तक पहुँचने के लिए ही रोहित ने मुझसे दोस्ती बढ़ाई थी। एक दिन रोहित ने मुझसे कहा कि उसे पूजा अच्छी लगती है। मैं उस दिन बहुत रोई। रोहित मेरा पहला प्यार था। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा। फिर भी मैं रोहित से बात करती रही।



मेरी और रोहित की दोस्ती बढ़ती ही जा रही थी। क्लास बंद हो गई थी लेकिन हमारा मिलना जुलना बंद नहीं हुआ। रोहित भी अब मुझे प्यार करने लगा था। पूजा की तरफ वो आकर्षित तो था लेकिन उसको अब मेरी आदत हो गई थी।



मैं रोहित को खो देने के डर से उसकी हर बात झट से मान लेती थी। रोहित ने मेरी इस आदत का गलत फायदा उठाया। रोहित मेरे बाहर आने जाने, कपड़े पहनने, किसी से बात करने, हर चीज में रोक टोक करने लगा। रोहित पर एक सनक सी सवार हो गई थी। वो हर समय मुझ पर शक करता। मुझे इंसान ना समझ कर कोई कठपुतली समझने लगा था। मुझे उस रिश्ते में घुटन होने लगी थी। हर समय मुझे महसूस होता जैसे मैं कोई कैदी हूँ। रोहित का प्यार अब पागल पन बनता जा रहा था।



एक दिन भी ना मिल पाये तो वो अजीब हरकतें करने लगता था। कई बार उसने मुझ पर हाथ भी उठा दिया था। रोहित के व्यवहार के कारण हमारे झगड़े बढ़ते जा रहे थे। हर रोज मैं रो कर ही सोती थी।



ग्रैजुएशन पूरा हो गया था। रोहित मुझ पर शादी करने का दबाव बनाने लगा। लेकिन मैंने रोहित के साथ जिन्दगी बिताने से अलग हो जाना बे‍हतर समझा। मैं सारी जिंदगी रो कर नहीं बिताना चाहती थी। मैंने फैसला किया कि पापा के ट्रान्सफर की बात रोहित को नहीं बताऊँगी।



रोहित को बिना बताए मैं नये शहर चली आई। उसने मुझे ढूँढने की बहुत कोशिश की। मुझे बहुत फोन किये, मैसेज भी किये कि वो सबके सामने मुझे बदनाम कर देगा लेकिन मैंने कोई रिप्लाई नहीं किया। और अपना नंबर बंद कर दिया। रोहित को मेरा पता मिल जाता तो सनकी रोहित कुछ भी कर सकता था। लेकिन अंत में उस सनकी आशिक से मुझे छुटकारा मिल ही गया।



दोस्तों ये थी मेरी हिंदी लव स्टोरी। ऐसा कई लड़कियों के साथ होता है और ये हम लड़कियों के लिए बिलकुल भी safe नहीं. प्यार में थोडा पागलपन तो चलता है लेकिन जब पागलपन हद से ज्यादा बढ़ जाए तो ये खतरनाक हो सकता है।

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सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

अक्तूबर 11, 2021

Motivation Story in Hindi 2021 - किसान का धैर्य || Hindi Stories Blog

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मेरे साथ जो हुआ वह अच्छा या बुरा (किसान का धैर्य)


क्यों पढ़ें - कई बार हम बहुत ज्यादा ही अपनी लाइफ को लेकर सीरियस हो जाते हैं। कि जैसे ही कुछ बुरा हुआ तो हम उदास हो जाते हैं और पल भर में जब कुछ अच्छा घटित होता है तो हम खुश हो जाते हैं। हमारे विचार बहुत जल्दी ही बदल जाते हैं।


हम यह नहीं सोचते कि जो कुछ घटित हुआ है वह हमारे लिए अच्छा है या बुरा। हमारे साथ घटी घटना का भविष्य में क्‍या प्रभाव पड़ेगा ये हमें खुद पता नही होता है।


(आज यह कहानी आपको कठिन परिस्थितियों में धैर्य का महत्व सिखाएगी)



किसान का धैर्य | Short Story On Patience In Hindi


एक समय की बात है। एक किसान था जिसके पास एक घोड़ा था। वह अपने इस घोड़े से बहुत प्यार करता था। उसे अपने घोड़े पर बहुत गर्व था जो किसान की कमाई का जरिया भी था। अपनी इस कमाई से किसान अपने परिवार का पेट भरता था।


लेकिन एक दिन वह घोड़ा भाग गया। उसके भागने के बाद समाज के लोग और उस किसान के पड़ोसी उसके पास आकर उससे कहने लगे- “हे भगवान! तुम्हारा घोड़ा, जिस पर तुम्हें बहुत घमंड था वह तो भाग गया।” उसको सांत्वना देने लगे कि उसके साथ बहुत बुरा हुआ। लेकिन किसान ने उसका जवाब बहुत ही सहजता से देते हुए कहा- “हाँ! बहुत बुरा हुआ।”


फिर अगले दिन,


अगले दिन घोड़ा वापस आ गया। लेकिन सिर्फ घोड़ा वापस नहीं आया बल्कि वह अपने साथ तीन जंगली घोड़े भी लाया। फिर उसके पड़ोसी उसके पास दौड़ते हुए आये और उस किसान से कहने लगे- “आप का घोड़ा आ गया और अपने साथ तीन और घोड़े भी लाया है। यह तो बहुत अच्छी बात है, आपकी किस्मत तो बहुत अच्छी है।”


किसान बहुत खुश हुआ, उनकी तरफ देखा फिर उसका जवाब बहुत ही साधारण रूप से दिया और कहा- “हाँ! शायद”


कुछ दिनों बाद,


कुछ दिनों बाद किसान का बेटा उसी जंगली घोड़े में से किसी एक को काम के लिए उपयोगी बनाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन इसी कोशिश के दौरान घोड़े ने उसे जमीन पर पटक दिया और उसका पैर बुरी तरह से टूट गया। उसके पड़ोसी उससे कहने लगे- “उस पागल घोड़े ने देखो तुम्हारे बेटे के साथ क्या किया। उसका पैर तोड़ दिया। यह तो बहुत बुरा हुआ।” किसान दुखी हुआ और फिर से उसी तरह जवाब दिया और कहा- “हाँ! शायद मेरे बेटे के साथ गलत हुआ।”


अगले दिन,


अगले दिन सेना के कुछ जवान उस किसान के घर आते हैं जो जंग छिड़ने के कारण नए जवानों की भर्ती कर रहे होते है। उसमें से एक जवान ने किसान के बेटे को देखा और बोला- “इसका तो पैर टूटा हुआ है। हम इसे सेना में भर्ती नहीं कर सकते।” और वे जवान गाँव के सभी लड़कों को लेकर अपने साथ चले गए। यह जानकर उसके पड़ोसी और बाकी गाँव वाले उसके पास आए और बोलने लगे- “तुम्हारे बेटे को तो जवान जंग के लिए नहीं ले गए, तुम्हारी किस्मत तो बहुत ही अच्छी है।”


इस आखिरी बार भी किसान ने फिर से बड़ी सहजता से कहा- “हाँ! शायद।”



कहानी की प्रेरक बातें


इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि “हमारे लिए चीज़ो को नकारात्मक ढंग से सोचने में जरा भी समय नहीं लगता हैं।” जब भी कुछ हमारे अनुकूल नहीं होता, तो हम उसे बुरा ही समझते। लेकिन सच बात तो यह है कि “कोई नहीं जानता कि जो हमारे जो साथ घटा है वह बुरा है या अच्छा।”


इस कहानी में भी किसान के भावों में परिवर्तन परिस्थितियों के कारण होता है। बुरी परिस्थितियों में वह नकारात्मक हो जाता है और अच्छी परिस्थितियों में वह सकारात्मक। इन नकारात्मक और सकारात्मक परिस्थितियों के बीच के समय में धैर्य रखना बहुत जरूरी होता है।


क्या आप वाकई में यह बता सकते हैं कि हमारे साथ जो घट रहा है वो गलत है या सही! बिना यह जाने कि भविष्य में उसका क्या प्रभाव पड़ेगा हम पर यह हमारे जीवन पर।


मुझे लगता है आपका जवाब होगा “नहीं।”


हमारे समाज में, हमारे देश में ऐसे बहुत से महान लोग हैं जो अपने जीवन में असफल हुए, हारे, अनेक बड़ी-बड़ी बीमारियों से लड़े। किंतु उन्होंने कभी भी अपना धैर्य नहीं खोया और ना ही हार माने। यही आगे चलकर बड़े प्रसिद्ध हुए, सफलता के मुकाम पर पहुंचे और महान बने।


हमारे बड़े बुजुर्ग सही ही कह गए हैं कि


“जो होता हैं, अच्छे के लिए ही होता हैं।”


यह छोटी सी लाइन हमें बहुत कुछ सीखा जाती है और ये बात हमें कभी नहीं भूलनी चाहिए।


हमेशा कोशिश करते हो,

जीवन के पथ पर निरंतर आगे बढ़ते चलो।



रविवार, 10 अक्तूबर 2021

अक्तूबर 10, 2021

Sad Love Story in Hindi : एक लड़की के पीछे पीछे घूमता रहा || Hindi Stories Blog

 


Listen now :



मै अपनी B.A. की पढाई पूरी करने के बाद मै नौकरी की तलाश में अपने गाव के एक दोस्त के साथ दिल्ली के पास नोएडा में आ गया ! मै जल्द ही MultiNational Company में Compuer operater के पद नौकरी कर ली, फिर एक कमरा किराये पर लेकर रहने लगा जिस मकान मे रहता था वह तीन मंजिल मकान का था ! और मैं सबसे ऊपर वाली मंजिल पर रहता था एक दिन जब मै छत पर गया और इधर उधर टहलने लगा तभी मेरी अचानक नजर बगल वाले छत पर गई तो देखा एक लड़की हमे बड़े प्यार से देख रही हैं , मै भी उसे देखने लगा थोड़ी देर बाद वो मुस्कुराकर चली गई ! मुझे एैसा लगा की शायद वो मुझे like कर रही हैं !पता नही क्यो उस लड़की को बार -बार देखने को मन करता फिर मै हर दिन उसे देखने के लिये मै अपने छत पर जाया करता था, वो भी मुझे देखने के लिये आया करती थी ! एैसे ही ये सिल – सिला 6 महीनो तक चलता रहा फिर मै किसी तरह उस लड़की का नाम पता किया उस लड़की का नाम सानिका था ! वो BSC कर रही थी और साथ मे computer Course कर रही थी ! वो शाम को जब अपने Computer class से वापस लौटती तो ! मै जब भी डियूटी से आता उसको एक नजर देखने के लिये मै उसका रास्ते मे जाकर इन्तजार किया करता था , लेकिन कभी उससे बात नही होती ! न बात करने की हमारी हिम्मत होती !

           मै उसको इतना चाहने लगा था हर समय उसकी यादो में खोया रहता था चाहे दिन हो चाहे रात हर समय उसका ही चेहरा दिखाई देता मै इतना पागल हो चुका था सानिका के प्यार में ! मै अपना कम्पनी में ठीक तरह से कार्य भी नही कर पा रहा था और हर दिन मैं अपने बोस की डाट खाता था और मुझे हर रोज नौकरी से निकलने की धमकी देते थे ! न जाने मुझे कौन सा रोग लग गया था, मै लेकिन अब तक अपने दिल की बात सानिका सें नही कह पाया था एैसा करते मुझे 2 साल बीत चुके थे और अब तक अपने प्यार का इजहार भी नही कर पाया था ! प्यार भी करता था और कहने से भी डरता था ! कितना पागल था मैं सानिका ये बात जानती थी की मैं उसे like करता हूँ और प्यार भी करता हूँ एक दिन अचानक मुझे सानिका मन्दिर में बुलाई, मुझे लगा की शायद वो मुझे कुछ कहना चाहती थी जो मैं कहना चाहता हूँ , आज मैं भी सोच रहा था की आज अपने दिल की बात कह ही देता हूँ ! मौका अच्छा हैं ! फिर मैं पहल से ही मन्दिर मे जाकर सानिका का इन्तजार करने लगा फिर थोड़ी देर बाद सानिका आई तो मैं सानिका को देखकर बहुत खुश हुआ! जब सानिका मेरे पास आयी और कही हाय सागर कैसे हो, मै -अच्छा हूँ आप कैसी है सानिका बोली ठीक हूँ ! फिर सानिका मेरे से बोली सागर मै आपसे ये जानने के लिये आपको बुलाई हूँ कि मैं देख रही हूँ कि आप 2 सालो से मेरे पीछे-पीछे घूम रहे हैं सागर क्या आप ये जानते है कि मै आपसे प्यार नही करती हूँ , सानिका मेरे से इतना कहते ही मैं बिल्कुल मायूस हो गया और सोच में पड़ गया थोड़ी देर बाद मैं सानिका से बोला , मै- ये मै नही जानता था की आप मुझसे प्यार नही करती है़ं, लेकिन मै आपसे बहुत प्यार करता था और करता हूँ, I LOVE YOU सानिका इतना कहते ही सानिका मेरे से कहने लगी प्यार एक तरफ से नही होता सागर प्यार दोनो तरफ से होता हैं क्यो अपना future मेरे पीछे बर्बाद कर रहे हों. 

         सानिका मैं आपसे प्यार करता हूँ , और आप future की बात कर रही हो मै तो आपके बिना जी नही पा रहा हूँ , हर पल आपकी यादो में खोया रहता हूँ सानिका- सागर मैं आपसे प्यार नही करती मैं सिर्फ अपने Future से प्यार करती हूँ, आज के बाद मेरे पीछे मत घूमना नही तो सागर आपके लिये अच्छा नही होगा. मैंने उससे कहा सानिका क्या मेरा प्यार दिल लगी तक रह जाएगा !सानिका – हा सागर Verry sorry अपना ख्याल रखना इतना कह कर वो चली गई ,और मैं करता भी तो क्या करता बड़े दुख के साथ रोता हुआ अपने Room पर चला आया अभी तक मेरे जिन्दगी में इतना बड़ा दर्द कभी नही मिला था ! सानिका मुझसे एक पल में बेवफा हो गई और मुझसे दूर हो गई दोस्तो I LOVE YOU यें इन तीन शब्द सुनने के लिये अब तक पीछे-पीछे घूमता रहा और जरूरत पड़े तो मरने को भी तैयार था ! इन तीन शब्दो के लिये उसकी छाया उसकी धड़कन उसकी सॉस बनकर उसके पास रहना चाहता था ! लेकिन इन्ही तीन शब्दो के लिये अपना सब कुछ खोकर आज मैं पागल बनकर रह गया हूँ , मॉ के पेट मे लड़का हैं या लड़की ये जानने के लिये दस महीने काफी होते है , मगर उसके दिल में क्या था यें जानने के लिये मुझे दो साल लग गये ,मगर गलती सानिका की नही मेरी हैं ! लड़की के दिल में प्यार है या नही ये जानने के लिये एक घन्टे एक दिन एक साल काफी होते है.

         लेकिन मै दो सालो से उसके पीछे-पीछे घूमता रहा कितना पागल हूँ मैं , लेकिन इस पागल पन का शिकार एक अकेला मैं ही नही मेरे जैसे नौजवान लाखो हैं करोड़ो है जो मुम्बई के मरीन track में कोलकत्ता के पार्क स्टेट में चेन्नई के मरीना ब्रीज में या दिल्ली के कर्नाट प्लेस में हर शहर हर गली में सच्चे प्यार के लिये पागल बनकर घूम रहे हैं ! मगर उनके दिल में भरे हुए सच्चे प्यार को कोई लड़की समझती नही ! प्यार आदमी को पागल बना देता हैं खूनी बना देता है़ं मगर इसी प्यार नें हम जैसे पागल को इन्सान बना दिया ! जब मुझे प्यार से प्यार था तो वो मुझे बहुत पसंद थी ! वैसे भी प्यार के जाने बिना मर जाने से बेहतर हैं कि हम उस प्यार को जानकर भूल जाये दोस्तो एक आदमी के जीवन में 2 साल काफी होते हैं जो वक्त पड़ने के लिये कुछ बनने कें लिये होता हैं वो 2 साल मैने पागल पन में खो दिया दोस्तो जो मेरी तरह प्यार में पागल होकर अपनी जिम्मेदारियों कों भूल गये है शायद जो बात मेरे दिल से निकली हैं, आप लोगो के दिल में असर कर जायें दोस्तो मुझे एैसा प्यार नही चाहिंए.


Story By Hindi Stories Blog 💔💔

बुधवार, 23 जून 2021

जून 23, 2021

Love story in Hindi - टीचर और स्टूडेंट की लव स्टोरी || Hindi Stories Blog

 


यह एक 40 साल की लड़की और 16 साल के लड़के की एक रियल कहानी है, जिसे पढ़कर आप सन्न रह जाएंगे। लड़की का नाम था मनीषा जोशी, जो अहमदाबाद के एक अपार्टमेंट में रहती थी। वह अपने ही अपार्टमेंट के एक 16 साल के लड़के को ट्यूशन पढ़ाती थी। मनीषा बहुत हंसमुख स्वभाव की थी और सभी से हंस-हंस कर बात करती थी।


मनीषा की हंसी का असर कुछ ऐसा हुआ कि वह लड़का उसकी ओर आकर्षित हो गया। मनीषा को लड़के के इरादों की भनक लगते देर न लगी। उसे भी उस लड़के का साथ अच्छा लगता था। मनीषा ने न तो अपनी उम्र का ख्याल रखा और न ही सामाजिक मर्यादाओं का। और इसका परिणाम यह हुआ कि जल्द ही उनके मन की बात जुबां पर आ गयी और देखते ही देखते उनके बीच शारीरिक सम्बंध स्थापित हो गये।


जब दोनों लोगों के बीच नजदीकियां हद से ज्यादा बढ़ीं, तो लड़के के घर वालों को इसका शक हुआ। उन्होंने लड़के के ट्यूशन जाने पर पाबंदी लगा दी। इससे मनीषा आहत हो उठी। उधर लड़का भी विरह की आग में जल रहा था। वह भी इन पाबंदियों की दीवार को तोड़ डालना चाहता था। 


मनीषा ने एक दिन लड़के को चुपके से अपने पास बुलाया और उसके साथ भाग चलने का प्लान बनाया। दोनों लोगों ने एक दिन तय किया और मुम्बई जा पहुंचे।


उन दोनों के गायब हो जाने से अपार्टमेंट में हड़कम्प मच गया। लड़के के घर वालों ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई और इस तरह से पुलिस उन दोनों की खोजबीन में जुट गयी।


मनीषा अपने प्रेमी को लेकर मुम्बई से सूरत, भरूच, माउंट आबू आदि जगहों पर घूमती रही। उसे इस बात का अंदाजा था कि पुलिस वाले उसे खोज रहे होंगे, इसलिए वह होटल में न रूक कर धर्मशालाओं में शरण लेती थी और लड़के को अपना बेटा बताती थी।


10 दिनों तक मनीषा अपने प्रेमी के साथ इधर-उधर फिरती रही। लेकिन जल्दी ही उसकी जमा पूंजी समाप्त हो गयी। उसके जेवर भी बिक गये। जब उनके सामने अर्थ का संकट आया, तो उसने अहमदाबाद जाकर कुछ पैसे जुटाने का निश्चय किया।


लेकिन जैसे ही मनीषा अमदाबाद पहुंची, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के उसे एक नाबालिग स्टूडेंट को भगाने और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में जेल भेज दिया। और इस तरह मनीषा की प्रेम कहानी का 'द इंड' हो गया। 


मनीषा वह जेल में अपने दिन गुजार रही है और पछता रही है कि क्यों आखिर उसने एक नाबालिग के साथ प्रेम की पींगे बढ़ाईं, जिसमें उसकी जमा पूंजी भी चली गयी और साथ ही हुईं जगसाई। पर कहावत है कि अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत?

सोमवार, 14 जून 2021

जून 14, 2021

Sad Love Story in Hindi - प्यार एक गुनाह। ||Hindi Stories Blog



करन और रीनू एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे . करन और रीनू दोनो का गाव एक है , करन बी . कॉम करता था और रीनू भी बी. कॉम कर रही थी , दोनो का लास्ट साल है , दोनो छुप – छुप के एक दूसरे से हॅमेसा मिलते थे ! दोनो बचपन से ही एक दूसरे को प्रेम करते थे , एक दिन अक्चानक रीनू के पापा कुछ लोगो को लेकर घर पर आ गये , रीनू को इस बात का बिल्कुल भी पता नही था ,वो पानी लेकर आई और नमस्ते कर के चली गयी. रीनू के पापा ने रीनू के शादी फिक्स कर दी थी वो भी बिना रीनू को बताए , रीनू को यह बात बहुत बुरा लगा की उस के घर वालो ने बिना बताए शादी फिक्स कर रहे है उस ने अपने पापा से बोला के वो अभी शादी नही करेगी लेकीन उस के पापा ने उस को डाट कर घर मे जाने को बोला ,रीनू चुपचाप घर के अंदर चली गयी और खूब रोने लगी उस ने अपनी मम्मी से भी बात किया पर वो भी नही मानी, रीनू दिन प्रत दिन उदास रहने लगी और करन से मिलना बंद कर दिया करन को कुछ नही पता था |

वो रीनू को मिलने के लिए बुलाया पर वो नही आई करन बहुत उदास हुआ और रीनू से उस के घर पर जाकर मिलने को सोचा , शाम का टाइम था रीनू के घर पर कोई नही था , मौका देख करन रीनू के घर मे चला गया और पूछा की उस को क्या हुआ है और वो ऐसा क्यू कर रही है , रीनू ने सारी बात बता दी , करन ने बोला कुछ नहीं होगा , इधर रीनू के पापा सारी बात सुन रहे थे | वो आए और रीनू , करन से बहुत प्यार से बात किया और बोला कल तुम दोनो से कुछ बात करनी है !

रीनू के पापा ने गांव के कुछ लोगो से बात कर लिया और दूसरे दिन गन्ने के खेत के पास रीनू और करन को बुलाया , दोनो बहुत ही खुश थे की आज पापा मान जाएगे, लकिन किस्मत मे कुछ और ही था | ये लोग जैसे ही खेत के पास गये १० लोगो ने इनको घेर लिया और गन्ने से मारने लगे , दोनो खूब तेज से चिल्ला रहे थे , लकिन कोई आया नही और ये लोग दोनो को मार डाला ! मरने के बाद दोनो को गन्ने के पाती से जला दिया |
आज के इस ज़माने में लोग ऐसा कर रहे है , हम सब लोग कहते है की हम लोग आगे जा रहे है , लेकिन आज भी जात और धरम के नाम पर मार हो रही है |ऐसा कबतक चलेगा , हम सब लोगो को मिलकर इसका सपोर्ट करना होगा , नही तो हर घर में करन और रीनू जैसे लोग मारे जायेंगे | प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं है न , फिर ऐसा क्यों ??

शनिवार, 12 जून 2021

जून 12, 2021

Horror Story in Hindi - रेल की पटरियों पर ||Hindi Stories Blog

 


दिल्ली से उत्तर प्रदेश के अपने पैतृक निवास लौट रहे थे। ट्रेन काफी लेट हो चुकी थी। वे अपने स्टेशन पर उतरे तो रात के डेढ़ बज चुके थे।

छोटे स्टेशनों पर देर रात को सवारी मिलने में दिक्कत होती है। फिर राकेश का घर शहर के बाहर पड़ता था इसलिए वे रेलवे लाइन के किनारे-किनारे चलने लगे। जैसे ही वे प्लेटफार्म छोड़कर पटरियों के किनारे आए उन्होंने एक युवती को साथ चलते देखा। उन्होंने पूछा तो उसने बताया कि वह हास्टल से घर आ रही थी ट्रेन लेट होने के कारण परेशानी में पड़ गई। इत्तेफाक से उसका घर उस गुमटी के पास ही था जहां से राकेश के घर का रास्ता निकलता था। उसने कहा कि ठीक है उसे घर पहुंचा कर ही वह आगे बढ़ेगा। उसने बताया कि वह इंटर में पढ़ती है और उसके पिता का नाम अर्जुन सिंह है। उसने पूछा कि क्या आप बैडमिंटन खेलते हैं। राकेश ने कहा-हां, खेलता हूं। उसने बताया कि वह टूर्नामेंट में उसे खेलते हुए देख चुकी है।

 रेल लाइन के एक तरफ खेत थे। दूसरी तरफ छिटपुट आबादी। कुछ घर अभी बन ही रहे थे। कुछ घरों से रौशनी आ रही थी। उसके साथ बात करते हुए कब हम रेल फाटक के पास पहुंच गए पता ही नहीं चला। उसने इशारे से राकेश को अपना घर दिखाते हुए कहा कि अब वह चली जायेगी। राकेश ने कहा कि उसे घर तक पहुंचा कर आगे बढ़ेगा। लेकिन उसने कहा अब कोई परेशानी नहीं। अंततः राकेश ने कहा कि वह घर पहुंचने के बाद आवाज़ देगी तभी वह आगे बढ़ेगा। बहरहाल उसने अपने दरवाजे पर पहुंचने के बाद आवाज़ दी। वह अपने रास्ते चल पड़ा।

दो चार दिन बाद राकेश शहर की ओर निकला तो उसके घर के पास से गुजरते हुए उसे लड़की की याद आई। उसने पास के एक दुकानदार से पूछा कि अर्जुन सिंह जी का घर कौन सा है। उसने एक घर की ओर इशारा करते हुए बताया कि गेट के पास जो टहल रहे हैं वही अर्जुन सिंह हैं।

राकेश उनके पास गया और कहा-नमस्ते अंकल।

वे राकेश को पहचानने की कोशिश करने लगे। राकेश ने कहा-अंकल तीन चार दिन पहले मैं रात को स्टेशन से रेलवे लाइन होकर आ रहा था तो आपकी बेटी रेखा मेरे साथ आई थी। अब वह कैसी है। अर्जुन सिंह राकेश की बातें खामोशी से सुनते रहे फिर उसे अंदर आने का इशारा किया। हम ड्राइंग रूम में बैठे ही थे कि एक लड़की ट्रे में बिस्किट और पानी रख गई। अर्जुन सिंह ने बताया कि वह उनकी छोटी बेटी शविता है। राकेश ने पूछा-रेखा कहां है। इसपर अर्जुन सिंह ने दीवार की ओर इशारा किया। वहां रेखा की तस्वीर टंगी थी िजसपर माला पहनाया हुआ था। मैं चौंका। अर्जुन सिंह ने बतलायाः दो महीने पहले की बात है। रेखा ट्रेन से से उतरकर रेलवे लाइन से होते हुए पैदल आ रही थी। पीछे से दो भैंसे दौड़ती हुई आईं कुछ लोगों ने शोर मचाया तो रेखा ने पीछे मुड़कर देखा। उनसे बचने के लिए वह रेलवे लाइन पर दौड़ गई। उसी वक्त एक ट्रेन आ रही थी जिससे वह कटकर मर गई।

 यह कहते-कहते उनकी आंखें डबडबा गईं। फिर थोड़ा संयत होकर पूछा-रेखा बहुत हा हंसमुख लड़की थी. हमारे घर की रौनक थी। पढ़ने में बहुत तेज़ थी। अच्छा बताओ वह तुमसे मिली तो  उदास नहीं लग रही थी न...राकेश ने कहा कि वह सामान्य छात्रा की तरह बात कर रही थी। कहीं से ऐसा नहीं लगा कि...राकेश धीरे से उठा और बोला-अच्छा अंकल चलता हूं।

अर्जुन सिंह ने कहा-ठीक है बेटे आते रहना। राकेश भावुकता में बहता हुआ बाहर निकला। उसकी आंखों के सामने रेखा का चेहरा नाच रहा था।

गुरुवार, 10 जून 2021

जून 10, 2021

Sad Love story in Hindi - कॉलेज का अधूरा प्यार || Hindi Stories Blog



 ये कहानी है उस दौर की..

 जब कॉलेज में २ कंपनियां आके चली गयीं थी…

 और मेरा प्लेसमेंट अभी नहीं हुआ था

 हौसला बढ़ाने के लिए घर पर माँ थी ..

 और महीने में एक बार फोन करके पैसे हैं कि नहीं पूछने वाले पिताजी भी..

 पर मैं उन्हें अपनी मनोदशा बताना नहीं चाहता था ..

 हाँ एक और भी तो थी मेरे पास..

 जो सब जानती थी .

 जो हिस्सा रही है इस सफर का..

 2004 से 2008 तक..

 कहानी अब 2005 में हैं..

 जब इंजीनियरिंग कॉलेज में एक साल पूरा हो चूका था..

 और तमाम रैगिंग और शुरूआती इंटेरक्शंस के बावजूद..

 मैं किसी से भी ज्यादा घुल मिल नहीं पाया था..

 वो थी मेरे ही आस पास.

 कई बार बुक बैंक में नज़रें मिली..

 कई बार एक ही टेबल पर आमने सामने पढ़े..

 नेस्कैफे पर एक ही ग्रुप में खड़े हो कॉफी पी थी..

 पर मैं सिर्फ उसका नाम ही जान पाया था..

 और ये भी श्योर नहीं था ..कि वो भी मुझे नाम से जानती है क्या….

 मुझे याद है…

 मेरी और उसकी बॉन्डिंग पहली बार..

 एनुअल कॉलेज फेस्ट में हुई थी..

 जब हम दोनों ही नीली जीन्स और ग्रे टी शर्ट में कॉलेज आये थे..

 और कॉलेज रॉक बैंड के परफॉर्म करने पर..

 भीड़ से पीछे की तरफ खड़े हो..

 बाकी लोगों को सर हिलाते और नाचते देख रहे थे..

 शायद मन था भीड़ में शामिल होने..

 शायद झिझक भी थी..

 इसीलिए हर बीट पर..दोनों के दाहिने पैर टैप कर रहे थे..

 तब तुमसे पहली बार बात हुई थी..

 मैंने सीधे तुम्हारा नाम ही लेके बातें शुरू की थी..

 और उन लोगों पे जोक मारा था..

 जो नाच रहे थे हैड बैंगिंग करते हुए..

 तुम खिलखिला के हंसी थी..

 फिर तुमने मुझसे पूछा..

 मैं रेगुलरली बुक बैंक क्यों नहीं आता हूँ..

 और मैंने जवाब दिया था…बस यूं ही..

 तुम फिर से मुस्कुराईं थीं..

 उस दिन हमने फोन नंबर भी एक्सचेंज किये..

 और फैस्ट ख़त्म होने के बाद..

 मैं इधर उधर की बातें करता हुआ..

 तुम्हारे साथ वाक् करते हुए तुम्हारे हॉस्टल के गेट तक गया था..

 तुम मेरे फ़ालतू जोक्स पर भी हंसती रहीं थीं..

 उस शाम मैंने सिगरेट नहीं पी..

 और रात में तकरीबन १२:३० बजे..

 अपने नोकिआ ११०० से “It was nice talking to you ” मैसेज किया था..

 फ़ौरन मेरे फोन की बीप बजी..और मैंने उत्सुकता से मोबाइल देखा..

 वो मैसेज की डिलीवरी रिपोर्ट थी..

 उन दिनों मोबाइल में मैसेज बीप बजना..

 एक अलग ही अहसास होता था..

 २ मिनट बाद ही तुम्हारा रिप्लाई आया..”same here

 फिर अगले दिन मैं अपने रूम पार्टनर की प्रेस की हुई शर्ट पहन कॉलेज पहुंचा था..

 और हमारी बातों के सिलसिले उस दिन से शुरू हो गए थे..

 कैंटीन से लेके..कॉफ़ी तक..

 और लैब से लके बुक बैंक तक..

 हम साथ ही रहते..

 और कॉलेज से लौटने के बाद..

 मोबाइल पर मैसेज..

 मुझे याद है.. तुम कैसे पढ़ते वक़्त अपनी उँगलियों में पैन घुमाया करती थीं..

 और न्यूमेरिकल सॉल्व करते वक़्त कैसे अपने बालों की लट को कान के पीछे ले जाया करतीं थीं..

 तुम कुछ पूछ न लो इस डर से मैं भी पहले से ही पढ़ के आया करता..

 और बुक बैंक में नज़रे बचा कर बस तुम्हे देखता..

 मुझे आज तक याद है..

 कि कैसे मैं कोशिश करता था कि फ़ोन मेमोरी फुल होने पे..

 मैं तुम्हारे मैसेज डिलीट न करूँ..

 कभी सिम में ट्रांसफर करूँ..

 तो कभी ड्राफ्ट बना के सेव कर लूँ..

 वो साथिया की रिंगटोन जो तुमने सेंड की थी..

 वो तब तक मेरी रिंगटोन रही..

 जब तक वो फोन मेरे पास रहा ..

 मुझे याद है कि कैसे तुम कहतीं थी..

 कि हर कैसेट में दूसरा गाना बैस्ट होता है..

 मैं नहीं भूल सकता वो शाम..

 जब हम पहली बार फिल्म देखने गए थे..

 मैंने दोस्त की CBZ उधार ली थी..

 और फिल्म से लौटते वक़्त बस अड्डे के पास गोल गप्पे खाए थे..

 उस शाम जब मैंने तुम्हे हॉस्टल छोड़ा था..

 तब कैसे हॉस्टल की एंट्री के पास..

 हमने घंटों बेवजह की बातें की थीं..

 तुम अंदर नहीं जाना चाहती थीं..

 और मैं भी वापस नहीं जाना चाहता था..

 बातों बातों में रात का 1 बज गया था..

 उस दौर में नींद भी कहाँ आती थी..

 


 मैं नहीं भूल सकता वो अनगिनत बार जब तुमने कहा था..

 कि मेरे जैसे लोग इस दुनिया में रेयर हैं..

 और कैसे तुम लकी हो मुझ जैसा दोस्त पाके..

 अगले ३ साल हम साथ साथ ही थे..

 कई बार लड़े..पर हर बार या तो तुमने या मैंने एक हफ्ते की ख़ामोशी के बाद..

 बात करने की शुरुआत कर ली..

 आखिरी सेमेस्टर से पहले तक सब ठीक ही चला..

 तुम कैट की तैयारी करती रहीं..

 और मैं कैंपस प्लेसमेंट की..

 याद है जब कंपनी आने का नोटिफिकेशन हम दोनों ने साथ ही नोटिस बोर्ड पे देखा था..

 और कंपनी क्रिटेरिया में थ्रू आउट फर्स्ट क्लास माँगा था..

 मैं उदास हो गया था ये देख..और तुम्हारी आँखों में चमक थी..

 तुमने कहा था कि चलो अच्छा है कम्पटीशन कम हो जाएगा..

 पर तुम मेरी आँखें नहीं पढ़ पायीं थी..

 ख़ैर मैंने भी कभी बताया नहीं..

 कि कैसे बारहंवी के पेपरों में..

 मेरा अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ था..

 और मैं कम्पटीशन से बिना फेल हुए ही बाहर हो गया..

 जिस दिन इंटरव्यू हुए..

 मैं कॉलेज ही नहीं आया..

 तुम्हें बेस्ट ऑफ़ लक का मैसेज किया..

 और बैठा रहा हॉस्टल के कमरे में..

 शाम को तुम्हारा मैसेज आया..सिलेक्टेड..

 मैंने congrats रिप्लाई किया..

 और तुमने नाम गिनाये कि किस किस का सिलेक्शन हुआ है..

 २ दिन बाद तुम्हारे साथ सेलेक्ट हुए लोगों की पार्टी कि खबर भी ऐसे ही उड़ते मिली..

 अगली कंपनी आई..

 उसमे भी वही क्रिटेरिया था..

 मैं अब निराश हो चला था..

 और तुम्हारे भी दोस्त बदल चुके थे..

 अब तुम्हारे पास एक नया ग्रुप था..

 वो लोग जो एक साथ उस कंपनी में प्लेस हुए थे..

 और मेरे आस पास..

 मेरी ही तरह हारे लोग..

 जो एजुकेशन लोन के तले दबे थे..

 या अपने परिवार के सपनों तले..

 आखिरी सेमेस्टर था..

 इस बार तुम्हारे बुक बैंक के साथी भी बदल गए थे..

 और मैंने भी बुक बैंक आना बंद कर दिया था..

 अब मैसेज टोन भी कम ही बजती थी..

 और साथिया वाली रिंगटोन मैंने सिर्फ तुम्हारे नंबर पर ही असाइन कर दी थी..

 एक awkward सी ख़ामोशी आ चुकी थी हम दोनों के बीच..

 मैं कई बार तुम्हे फोन करके रोना चाहता था..

 अपनी असफलता की कहानियां सुनना चाहता था..

 कई बार नंबर डायल करके रिंग जाने से पहले मैंने काट दिया..

 वो अँधेरे के दिन थे..

 फाइनल एग्जाम वाले दिन हम लगभग एक अजनबी की तरह ही मिले..

 तुमने पिछले ३ साल याद किये..

 और मुझे बताया कि कैसे I have been the best person you have ever meet ..

 हमने एक और बार कॉफ़ी साथ पी..

 जो संभवतः हमारी आखिरी कॉफी थी..

 मैं उस शाम जयदतर खामोश ही रहा..

 जब कॉफ़ी ख़त्म हुई तो मैंने पूछा..

 चलो हॉस्टल छोड़ देता हूँ..

 तुमने मुस्कुरा कर कहा..नहीं..

 अभी किसी के साथ मूवी का प्लान है..

 उस “किसी” का अंदाजा मुझे भी था..

 क्यूंकि वो नेस्कैफे के पीछे से शशांकित भाव से मुझे देख रहा था..

 पर जिसकी वक़्त ने ली हो..वो दर्द से कराह भी नहीं पाता..

 मैं चुप ही रहा..

 और तुमने जाते जाते कहा ..

 “Be in touch ”


Story by Hindi Stories Blog ❤️💔



 

बुधवार, 9 जून 2021

जून 09, 2021

Inspirational Story in Hindi - प्यार और शादी का सबक ||Hindi Stories Blog

 


एक युवक अपने जीवन में प्रेम के उतार-चढ़ाव से जूझ रहा था. प्रेम में क्या सही है और क्या गलत? वह समझ नहीं आ रहा था. एक तरह से वह उलझ कर रह गया था. एक दिन वह अपने मन की उलझनों के साथ अपने दादाजी के पास पहुँच गया. वह अपने दादाजी के बेहद करीब था, जिनसे वह अपने मन की हर बात कह लेता था. इसलिए ऐसी उलझनों के समाधान के लिए उनसे बेहतर कोई विकल्प ही न था.

दादाजी का हालचाल जानने के बाद वह मुद्दे की बात पर आया और अपने मन की उलझन बताते हुए पूछा, “दादाजी! ऐसा क्यों होता है कि इंसान प्यार तो किसी और से करता है, लेकिन शादी किसी और से?”

प्रश्न सुनकर दादाजी मुस्कुराये, वे पोते के मन की उहापोह समझ चुके थे और यह भी जानते थे कि इसके निदान का सर्वोत्तम तरीका क्या है?

वे बोले , “बेटा, तुम्हारे प्रश्न का उत्तर देने के पहले मैं तुम्हें एक काम सौंपता हूँ.”

“बताइए दादाजी! क्या काम है? मैं फ़ौरन वह काम कर दूंगा.” युवक बोला.

“ऐसा करो तुम गेहूँ के खेत में जाओ और सबसे अच्छी गेहूँ की बाली चुनकर मेरे लिए ले आओ. लेकिन शर्त यह है कि उस गेहूँ की बाली का चुनाव तुम्हें एक बार देखकर ही करना होगा. अगर एक बार तुम उसे छोड़कर आगे बढ़ गए, तो फिर वापस लौटकर उस बाली को नहीं चुन सकते.”

युवक गेहूँ के खेत में चला गया. वहाँ वह गेहूँ की बालियों का मुआयना करने लगा. कई बालियाँ देखने के बाद उसे एक बहुत ही अच्छी गेहूँ की बाली दिखाई पड़ी. वह उसे तोड़ने को हुआ, लेकिन तभी उसके मन में विचार आया कि हो सकता है आगे बढ़ने पर उसे इससे भी अच्छी बाली मिल जाये. इसलिए वह उसे बिना तोड़े ही आगे बढ़ गया. कुछ दूर आगे जाने पर उसे एक और अच्छी गेहूँ की बाली दिखाई पड़ी. लेकिन पुनः उसके मन में वही विचार आया कि शायद आगे उसे इससे भी अच्छी गेहूँ की बालियाँ मिल जाये और वह फिर से आगे बढ़ गया.

इस तरह पूरे खेत का भ्रमण कर लेने के बाद भी वह एक भी गेहूँ की बाली नहीं तोड़ पाया. खेत के अंतिम छोर में पहुँचने पर उसे समझ आया कि जो बालियाँ उसे पहले दिखाई पड़ी थी, वे बेहतर थी. लेकिन शर्त अनुसार अब वह वापस नहीं जा सकता था. अतः वह खाली हाथ ही अपने दादाजी के पास वापस आ गया. पूछने पर उसने सारा वृतांत सुना दिया.

दादाजी बोले, “बेटा, जैसी गलती तुमने अभी कुछ देर पहले गेहूँ के खेत में की, वही गलती प्रेम में पड़ने वाले लोग वास्तविक जीवन में करते हैं. वे और बेहतर की तलाश में उस इंसान को खो देते हैं, जो उनका बेहतरीन साथी हो सकता था.”

“तो क्या इसका अर्थ है कि किसी को प्रेम में पड़ना ही नहीं चाहिए?” युवक ने पूछा.

दादाजी ने उत्तर दिया, “नहीं, ऐसा नहीं है. कोई भी प्रेम में पड़ सकता है, यदि कोई योग्य व्यक्ति मिल जाये तो. लेकिन जब भी किसी से सच्चे मन से प्रेम करो, तो उसे कभी भी गुस्से, अहंकार और किसी अन्य से तुलना के कारण मत छोड़ो.”

“पर ऐसा क्यों होता है दादाजी कि इंसान जिससे प्रेम करता है उसे छोड़कर दूसरे से शादी कर लेता है.”

यह प्रश्न सुनकर दादाजी बोले, “इसका उत्तर देने के पहले मैं फिर से तुम्हें एक कार्य सौंपता हूँ. अब तुम एक मक्के के खेत में जाओ और सबसे बड़ा मक्का चुनकर मेरे लिए लेकर आओ. लेकिन इसमें भी शर्त पहले जैसी ही है. मक्के का चुनाव तुम्हें एक बार देखकर ही करना होगा. अगर एक बार तुम उसे छोड़कर आगे बढ़ गए, तो फिर वापस लौटकर उस मक्के को नहीं चुन सकते.”

युवक मक्के के खेत में चला गया. किंतु इस बार वह सावधान था. उसने वह पहली वाली गलती नहीं दोहराई और खेत के बीच पहुँचकर एक मध्यम आकार का मक्का तोड़कर वापस आ गया. वापस आकर उसने दादाजी को बताया कि उसने उस मक्के का चुनाव कैसे किया.

दादाजी बोले, “अपने पुराने अनुभव के कारण तुम इस बार खाली हाथ नहीं लौटे. तुमने बस एक ठीक-ठाक मक्का खोजा और यकीन कर लिया कि यही सबसे अच्छा है. वास्तविक जीवन में भी लोग इसी तरह अपने पुराने अनुभव से सीख लेकर शादी के लिए चुनाव करते है.”

दादाजी की बात सुनकर युवक दुविधा में पड़ गया. उसे दुविधा में देख दादाजी ने  पूछा, “अब तुम्हें कौन सी बात परेशान कर रही है?’

“दादाजी आपकी बात सुनने के बाद मैं सोच रहा हूँ कि क्या बेहतर है जिससे प्यार करते हैं, उससे शादी करना या जिससे शादी की है, उससे प्यार करना?”

“बेटा, ये तो तुम पर निर्भर करता है….” दादाजी ने उत्तर दिया.

दोस्तों, जीवन में हम जो भी चुनते हैं, उसके साथ हम खुश रहते हैं या नहीं, ये पूर्णतः हम पर निर्भर करता है. इसलिए चुनाव हमें सोच-समझकर करना होगा. अन्यथा हम जीवन भर ये सोचकर पछताते रहेंगे कि काश मैंने कुछ और चुना होता? लेकिन यह भी सच है कि जब तक हम खुद में सच्चे और ईमानदार रहेंगे, हम किसी भी चुनाव में गलत नहीं हो सकते.

सोमवार, 7 जून 2021

जून 07, 2021

Sad Love Story in Hindi - एक लड़की का सच्चा प्यार || Hindi Stories Blog

 


एक लड़की थी। बहुत ही खूबसूरत। जितनी वह सुंदर थी, उतनी ही ईमानदार। न किसी से झूठ बोलना, न किसी से फालतू की बातें करना।बसअपने कामसे काम रखना।”उसी क्लास में एक लड़का था। वह मन ही मन उससे बहुत प्यार करता था। लड़का अक्सर उसके छोटे-मोटे काम कर दिया करता था।बदले में जब लड़की मुस्करा कर थैंक्यू कहती थी, तो लड़के कीखुशी की सीमा नहीं रहती थी।एक बार की बात है। दोनों लोग साथ-साथ घर जारहे थे। तभी जोरदार बारिश होने लगी। दोनों को एकपेड़ के नीचे रुकना पडा पेड़ बहुत छोटा था,बारीस की बुन्दे छन-छनकर उससे नीचे आ रही थीं। ऐसे में बारिश से बचने के लिए दोनों एक दूसरे के बेहद करीबआ गये।लड़की को इतने करीब पाकर लड़का अपने जज्बातों पर काबू न रख सका। उसकेलड़की कोप्रजोज कर दिया।

लड़की भी मन ही मनउसको चाहती थी।इसलिए वह भी राजी हो गयी। औरइस तरहदोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा। एक बार की बात है लड़की उसी पेड़ ने नीचे लड़केका इंतजार कर रही थी। लड़का बहुत देर सेआया।उसे देखकर लड़की नाराजगी से बोली,’तुम इतनीदेर से क्यों आए? मेरी तो जान ही निकलगयी थी।’यह सुनकर लडका बोला, ‘जानेमन, मैं तुमसेदूरकहां गया था, मैं तो तुम्हारे दिल में हीरहता हूं।तुम्हें यकीन न हो तो अपने दिन से पूछ लो।’लड़केकी इस प्यारी सी बात को सुनकर लङकी अपना सारा गुस्सा भुल गयी और वह दौड़ कर लड़के सेलिपट गयी।एक दिन दोनों लोग उसी पेड़ के नीचे बैठेबातें कररहे थें। लड़की पेड़ के सहारे बैठी थी और लड़का उसकी गोद में सर रख कर लेटा हुआ था।तभी लड़की बोली, ”जानू, अब तुम्हारी जुदाई मुझसे बर्दाश्त नहीं होती।

तुम्हारे बिना एकपल भी मुझे 100 साल के बराबर लगता है। तुम मुझसे शादी कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊंगी।”लडके ने झट से लड़की के मुंह पर अपना हाथ रख दिया और बोला, ”मेरी जान, ऐसी बातमत कियाकरो, अगर तुम्हें कुछ हो गया, तो मैं कैसे  जिंदा रहूंगा।” फिर वह कुछ सोचता हुआ बोला,”तुमचिंता मत करो, मैं जल्द ही अपने घर वालों से बातकरूंगा।”धीरे-धीरे काफी समय बीत गया। एक दिन की बातहै। दोनों लोग उसी पेड़ के नीचे बैठे हुए थे।उससमय लड़के का चेहरा उतरा हुआ था। लड़की के पूछने पर वह रूआंसा होकर बोला, ”जान,मैंने अपनेघर वालों को बहुत समझाया, पर वे हमारी शादी केलिए तैयार नहीं हैं।

उन्होंने मेरी शादी कहीं और पक्की कर दी है”यह सुन कर लड़की का कलेजा फट पड़ा।उसका मन हुआ कि वह जोर-जोर से रोए” लेकिन उसने अपने जज्बात पर काबू पा लिये औरबोली, ”मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है, मैं तुम्हें कभी भुला नहीं सकती।””प्लीज मुझे माफ कर देना..!” लड़का धीरेसे बाेला,वैसे अगर तुम चाहो, तोअब से हम एक अच्छे दोस्त रह सकते हैं।”लडकी यह सुन कर ज़ो-ज़ोर से रोने लगी”लड़के ने उसे समझाया और फिर दोनों लोग रोते हुए अपने-अपने घर चले गये।देखते ही देखते लड़के की शादी का दिन आगया।लड़के को यकीन था कि उसकी शादी में उसकी दोस्त जरूर आएगी। पर ऐसा नहीं हुआ।

हां,लड़की का भेजा हुआ एक गिफ्ट पैक उसे ज़रूरमिला।लड़के ने कांपते हांथों से उसे खोला। उसे देखते हीवह बेहोश हो गया।गिफ्ट पैक में और कुछ नहीं खून से लथपथलड़कीका दिल रखा हुआ था। और साथ ही में थी एकचिट्ठी, जिसमें लिखा हुआ था- अरेपागल, अपनादिल तो लेते जा वरना अपनी पत्नी को क्या देगा दोस्तो हमारी जिन्दगी का सबसे खुबसुरत एहसास प्यार ही है जो हमको आपको हर किसी को होता है पर क्या हम उसकोअपना पाते हैं कभी हम गलत तो कभी साथी गलत दोनो सही तो घरवाले गलत पर क्या प्यार गलत होता है नही”तो”मित्रों प्यार करो लेकिन खिलवाङ मत करो |

शनिवार, 5 जून 2021

जून 05, 2021

Sad Love Story in Hindi - मेरी किस्मत में तू नहीं शायद || Hindi Stories Blog

 


यह कहानी टिंकू और रिंकू के प्यार की है. टिंकू एक गाँव का रहने वाला लड़का है. परिवार बहुत बड़ा है इसलिए घर के सदस्य घर का सारा काम स्वयं ही निपटा लेते है.


टिंकू कालेज के बहाने सुबह घर से निकल जाता है और शाम को घर लोटता है. टिंकू की यही दिनचर्या है. रिंकू एक शहर में रहने वाले अमिर घर की लड़की है. वो भी उसी कोलेज में पढ़ती थी जिसमे टिंकू पढ़ता है. उनकी पहली मुलाकात भी कालेज में ही हुई थी. अच्छी दोस्ती हुई और दोस्ती प्यार में बदल गई.


दोनों जब तक एक दुसरे को देख नहीं लेते थे चैन नहीं आता था. छुट्टी वाले दिन भी सिर्फ मिलने के लिए टिंकू शहर जाता था. और रिंकू भी घर पर कोई ना कोई बहाना बनाकर टिंकू को दिए समय पर और तय की गई जगह पर पहुँच जाती थी. यह सब दो साल तक चलता रहा. लेकिन एक दिन रिंकू के भाई ने रिंकू और टिंकू को पार्क में बैठे देख लिया. रिंकू के भाई का नाम रोहित है. रोहित ने घर जाकर रिंकू ही हरकत घर वालों को बता दी.


रिंकू की यह हरकत जानकर घर वाले रिंकू से काफी नाराज हुए और उन्होंने रिंकू पर गुस्सा किया. उन्होंने रिंकू को कालेज ना जाने के लिए कहा और घर से बाहर ना निकलने का आदेश दिया. जब 3 -4 दिन रिंकू स्कुल नहीं आई तो टिंकू काफी परेशान रहने लगा. एक दिन टिंकू दोपहर के वक्त रिंकू के घर गया. उस दिन किस्मत ने भी रिंकू का साथ दिया क्योंकि सभी घर के सदस्य किसी काम से बहार गए हुए थे.


रिंकू घर पर अकेली थी. टिंकू सीधा रिंकू के कमरे में जा पहुंचा. रिंकू टिंकू को देखकर घबरा गई और उसे तुरंत वापिस जाने के लिए कहा. लेकिन टिंकू नहीं माना तो रिंकू ने वादा किया की वह कल उसे पार्क में जरुर मिलेगी. यह सुनकर टिंकू चला गया.


थोड़ी ही देर में रिंकू की माँ घर आ गई. रिंकू ने भगवान का हाथ जोड़कर सुक्रिया  किया. अगले दिन जब रिंकू की माँ पड़ोस की एक औरत के पास गई हुई थी और घर में कोई नहीं था तो रिंकू टिंकू से मिलने पार्क में चली गई. टिंकू काफी समय से रिंकू का इन्तजार कर रहा था. वह रिंकू को देखकर खुश हुआ.


दोनों काफी देर तक बातें करते रहे. रिंकू ने जाते वक्त टिंकू से वादा लिया की वो अब कभी उससे मिलने नहीं आएगा और ना ही कोई गलत कदम उठाएगा. यह कहकर रिंकू घर चली गई. उधर घर वाले रिंकू को देखते ही गरज पड़े और उन्होंने रिंकू को खूब धमकाया. रिंकू के घर वालों ने रिंकू की शादी कहीं और कर दी.


टिंकू अब भी रिंकू को बहुत प्यार करता हैं.

ओर उसकी जुबान से सिर्फ यहीं शब्द निकालते हैं


मेरी किस्मत में तू नहीं शायद, क्यूं तेरा इंतज़ार करता हूं।

मैं तुझे कल भी प्यार करता था, मैं तुझें अब भी प्यार करता हूं.....


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शुक्रवार, 4 जून 2021

जून 04, 2021

Horror Story in Hindi - अमावस की रात || Hindi Stories Blog



 वह रात थी अमावस की रात यह सोचकर तुम्हारे रोंगटे खड़े हो जायेंगे कि कहानी पढ़ते वक़्त पीछे मत देखना वरना खतरनाक हो सकता है पीछे भूत भी हो सकता है!!सोच लो देखना मत! देखोगे तो र जाओगे मत देखो मत देखो मत देखो चुपचाप कहानी पढ़ते रहो देखो कहा था देखना मत देख लिया न कुछ भी तो नहीं था! मगर डरे ना इसी तरह के भय को ही तो डर कहते हैं!डर एक ऐसी चीज बनाई है भगवान् ने कि पूछो मत बस हम लोग डर-डर के जीते जा रहे हैं जीते जा रहे हैं जाने कब यह डर ख़तम होगा शायद मरने के बाद क्योंकि मरने के बाद तो सारे डर ख़तम खल्लाश हो जाते हैं!देखो यह सब बकवाश है !बहुत हो गयी यह डर की बाते कहानी पढो चलो डर तो अभी लगेगा जब कहानी पढोगे! 

एक समय की बात है अकाल गढ़ मैं कभी भी अकाल नहीं पड़ा था तब भी इसका नाम अकाल गढ़ था!और अकाल अब पड़ता है तब भी इस गांव का नाम अकाल गढ़ है!इस गांव के अकाल पड़ने की भी एक कहानी है! सुनाऊ क्या नहीं अरे नहीं सुनाऊंगा तो तुम्हें क्या घंटा समझ मैं आयेगी! चलो अब असली बात पर आते हैं!अकाल गढ़ मैं दो भाई नीरज और राजू अपनी बीवी के साथ बढ़िया रहा करते थे! राजू और नीरज मैं अच्छी बनती थी! नीरज का विवाह नहीं हुआ था! पर होने वाला था! कुछ दिनों बाद नीरज की भी शादी हो गयी! कुछ दिनों तक तो ठीक ठाक चलता रहा! पर उनकी बीवियों मैं आपस मैं नहीं बनती थी!तो उन्होंने अलग-अलग रहने का फेसला किया दोनों अलग-अलग रहने लगे राजू अलग होने पर बहुत कामचोर हो गया था!पहले वह भाई नीरज के साथ थोडा बहुत काम काज कर लिया करता था !

वह दिन दिन और काम चोर होता गया और उसकी आर्थिक स्थिति ख़राब हो गयी और नीरज अपना काम काज सही करता रहा उसने अपनी मेहनत से काफी अनाज खेत से उगाया यह सब देख-देख कर उसका भाई राजू बहुत जलता था! पर नीरज अपनी तरफ से सही था एक दिन राजू और उसकी पत्नी ने मिलकर नीरज की पत्नी को रात मैं मार दिया नीरज किसी काम से बाहर गया हुआ था!दोस्तों वह रात अमावश्या की रात थी!चाँद अपनी पूरी रौशनी पर था तारे टिम-टिमा रहे थे!रात बिलकुल शांत थी उन्होंने पहले उन दोनों ने उसके घर कूदकर पहले सारा अनाज चुरा लिया जब नीरज की पत्नी को पता चला कि उसके अनाज कि कोई चोरी कर रहा है तब उसने उठकर देखा तो राजू और उसकी बीवी अनाज चुराने मैं लगे थे!तब नीरज कि बीवी ने कहा कि आप यह क्या कर रहे हो अपने ही घर मैं चोरी यह सुनकर राजू और उसकी बीवी ने सोचा कि अगर इसने गांव वालों को बता दिया तो वो लोग हमे गांव से ही निकाल देंगे इस डर के मारे उन्होंने उसकी पत्नी को मार डाला और दूर जंगल मैं गाढ़ के आ गए!सुबह जब नीरज घर पहुंचा तो देखा की उसका अनाज नहीं हैं थोडा बहुत बचा था वह बिखरा पड़ा था!

 जब उसने अपनी पत्नी को आवाज लगायी पर कोई जवाब नहीं आया उसने सारे घर को छान डाला पर वो कहीं नहीं मिली फिर उसने अपनी भाभी से पूछा कि मेरी बीवी कहाँ गयी तो उसने हडबडा के बोला मुझे नहीं पता कल शाम तक तो घर पर ही थी इतना पूछ कर उसने पड़ोसियों से पूछा तो किसी ने कहा पता नहीं और किसी ने बताया शाम तक तो घर पर ही थी वो बहुत घबरा गया और कुछ लोगों को बताया कि घर का सारा अनाज किसी ने चुरा लिया है और मेरी बीवी का भी पता नहीं है कि कहाँ हे वो उसने घर जाके फिर देखा तो उसे उन गेंहू से एक चाक़ू मिला और कुछ खून भी पड़ा था उसे सब कुछ समझ मैं आ गया कि उसे किसी ने मार के सारा अनाज चुरा लिया है!तब उसने अपनी छत पर जाकर देखा तो उसे कुछ अनाज भी गिरा मिला तो उसे अपने भाई राजू पर शक हुआ पर नीरज वैसे भी अपने भाई राजू कि बहुत इज्जत करता था इसलिए उसने कुछ कहा नहीं! तब एक दिन राजू ने कहा कि तू अकेला मत रह हमारे साथ ही आजा हम साथ ही रहेंगे वह राजू को मना तो नहीं कर सकता इसलिए वह उसके साथ मन मार के रहने लगा! 

गांव के कुछ लोग उसकी बीवी को गंदी औरत कहने लगे और कहते थे कि सारा अनाज लेकर भाग गयी बेचारा नीरज अकेला रह गया चुड़ैल कहीं कि यह सब बातें उसे सुनने को मिल रही थी! वह बेचारा क्या करता अपने भाई को कुछ नहीं कह सकता था!एक दिन कि बात है गांव के कुछ लोग जंगल से लकड़ी लेने गए थे! तो वे लकड़ी काट ही रहे थे तब उन्हें किसी स्त्री के रोने कि आवाज सुनाई दी तो उन्होंने कहा कि इस जंगल मैं कौन रो रहा है कहीं कोई रास्ता तो नहीं भटक गया तो वो लोग जिधर से आवाज आ रही थी उसी तरफ चल दिए कुछ दूर चलकर उन्होंने देखा कि एक औरत एक पेड़ के नीचे बेठ कर रो रही है!

जबतक वो उसके पास पहुंचते वह गायब हो गयी! उन लोगों ने जब इस तरह का द्रश्य देखा तो वो घबरा गए उनके तो पसीने छूटने लगे तब एक आवाज आई की अब तुम लोग कभी भी इस जंगल से लकड़ी नहीं काटोगे और जो भी यहाँ लकड़ी काटने आएगा वो जिन्दा वापस नहीं जायेगा और तुम लोग मुझे चुड़ैल कहते हो न तो चुड़ैल सही आज से तुम्हारे गांव मैं कभी पानी नहीं बरसेगा तुम लोग भूखे मरोगे यहाँ सिर्फ अकाल पड़ेगा और अमावाश की रात एक लाश तुम्हारे गांव मैं ज़रूर मिलगी जाओ तुम सब गांव वालों को जा कर बता दो आज से तीन दिन बाद अमावस्या है! 

एक आदमी की मौत ज़रूर है!जिसने भी मुझे मारा है वो बचेगा नहीं मेरा अनाज खा कर के मुझे चुड़ैल कहते हो गांव वालो मैं तुम्हे छोडूंगी नहीं आज मैंने तुम्हें बख्स दिया जाओ जाओ जाओ चले जाओ मेरे जंगल से मुझे अकेला छोड़ दो जाओ मुझे तैयारी करने दो जाओ और फिर रोने लगी वो लोग डर गए यह सब क्या था स्त्री रोने का कारण क्या था!एक आदमी बोला अरे वह कह रही तो थी की मेरा अनाज चुरा लिया और मुझे मार दिया इसका मतलब यह नीरज की बीवी थी जिसे किसी ने अनाज के लिए मार डाला है और वह चुड़ैल बन गयी है! तभी एक दम एक भयानक चेहरा उनके सामने आया तुम लोग अभी तक गए नहीं जाओ यहाँ से वरना मैं तुम्हे भी मार दूंगी!उनके तो होश उड़ गए भागो भागो चुड़ैल-चुड़ैल ऐसा कहते हुए वह गांव पहुंचे सारे के सारे ऐसे हांफ रहे थे!

जिन्दगी मैं इतना कभी नहीं भागे होंगे गांव वालों ने इस तरह उन्हें भागते हुए देखा तो कहने लगे क्या हुआ चुड़ैल-चुड़ैल बके जा रहे हो आगे भी कुछ बोलो अरे तुम्हें बोलने की पडी है हमारी जान पर बनी है!अरे पर हुआ क्या तुम लोग इस तरह क्योँ हांफ रहे हो बताते हैं!बताते हैं पहले सांस तो लेने दो तब उन्होंने गांव वालो को बताया कि नीरज कि बीवी चुड़ैल बन गयी है!और उसने हम से कहा है कि मेरा अनाज किसी ने चुरा कर किसी ने उसे मार के जंगल मैं दफना दिया है!और वह कह रही थी कि अब तुम्हारे गांव मैं कभी पानी नहीं बरसेगा और हर अमावस्या को एक आदमी कि म्रत्यु होगी जब तक उसकी आत्मा को शांति नहीं मिल जाएगी तब तक यूँही वो लोगो को मारती रहेगी!एक आदमी ने पुछा पर नीरज कि बीवी को मारा किसने कुछ लोगो ने कहा पता नहीं कोई तो है इस गांव मैं जिसने यह पाप किया है कि एक हिन्दू औरत को दफना दिया पर जिसने भी यह काम किया है उसकी बजह से सारा गांव मुसीबत मैं पड़ गया है!यह बात सुनकर राजू भी वहां पहुँच गया और सब बातें सुनकर उसके होश उड़ गए और वह घबरा सा गया और कहने लगा वो चुड़ैल कोई और होगी वह चुड़ैल नहीं बन सकती वह तो अनाज लेकर भाग गयी है!कुछ गांव वालों ने कहा वो तो अमवस्या को ही पता चलेगा कि किसने उसकी हत्या कि थी!चलो आने अपने घर जाओ सब लोग जो होगा देखा जायेगा!

राजू के चेहरे पर तो १२ बज ही गए थे और वह भागता हुआ अपनी बीवी के पास पहुंचा और बोला कि हम लोग अब नहीं बचेंगे आज से तीन दिन बाद अमवस्या को वो चुड़ैल हमे मार डालेगी वो बोली तुम पागल तो नहीं हो गए तुम्हारी तबियत तो सही है क्या हो गया है चुड़ैल हमे मार डालेगी कौन चुड़ैल

अरे वही नीरज की बीवी जिसको हमने मार कर जंगल मैं दफना दिया था!क्या हाँ वो सारे गांव वाले कह रहे थे!नीरज ने यह सारी बातें छुप कर सुन ली थी! और अनजान बनकर बोला भइया इतना क्यों डरे हुए हो कौन तुम्हे मार डालेगा राजू अरे नहीं वो तो मैं तुम्हारी भाभी को उस चुड़ैल के बारे में बता रहा था!फिर यह सुनकर नीरज चला गया पर राजू की रातों की नीद खराब हो गयी वह बहुत डरा हुआ था वह सपने मैं भी उस चुड़ैल को देखकर डर जाता था!वो और उसकी पत्नी बहुत परेशान थे उसकी पत्नी सोचती थी कि पहले वो मुझे मारेगी और वो अपनी सोचता था!दोनों ही

डरे हुए थे उन्हें समझ मैं नहीं आ रहा था कि क्या करे !दो दिन ऐसे ही निकल गए तीसरे दिन अमावास थी

सारा गांव डरा हुआ था सब लोग यही बात कर रहे थे पता नहीं आज किसकी मौत है!शाम होते ही सब लोग दरवाजा बंद कर के सो गए रात के बारह बज गए थे सारा गांव जाग रहा था नीरज तो बे फिक्र होके

बाहर ही सो रहा था!गांव वालों को तो उस मनहूश घडी का इंतज़ार था!सारे गांव वाले डरे हुए थे!

कुत्ते भोंक रहे थे पता नहीं कौन सी कयामत आने वाली है!अचानक किसी स्त्री की रोने की आवाज सुनाई दी सारे लोग डर गए वो समझ गए की वो आ चुकी है!नीरज ने देखा कि एक औरत रोते हुए उसकी और आ रही है बाल फिकरे हुए चेहरे पर चांदनी रात मैं उसकी आंखें चमक रही थी!वह पहले तो डरा वह उसके पास आकर बोली तुमने मेरी खबर तक नहीं ली कि मैं कहाँ चली गयी हूँ तुम भी इन गांव वालों की बातो मैं आ गए तुम्हे पता है जब तुम उस दिन बाहर गए थे उस दिन इन लगों ने मुझे मारकर सारा अनाज चुरा लिया था!हाँ मैं जानता था कि कुछ तो जरूर हुआ है पर तुम इस हालत मैं मैंने कभी सोच भी नहीं सकता और तुम मेरे भाई को मारने के लिए यहाँ आई हो जाओ लौट जाओ भगवान् ने चाह तो सब कुछ ठीक हो जायेगा मैं भगवान् से प्रार्थना करूंगा!

वो चिल्लाई नहीं तुम्हे तो मेरे साथ होना चाहिए था तुम भी इन गांव वालों कि तरह बन गएभगवान् क्या ख़ाक ठीक करेगा अब मैं इस गांव को बर्बाद करूंगी और तुम्हे क्या लगता है कि मैं तुम्हारे कहने पर तुम्हारे भाई को छोड़ दूंगी नहीं मैं इस दिन के लिए कितना रोई हूँ और कितना तड्पी हूँ मैं उसे नहीं छोड़ने वाली उन दोनों मैं से एक कि मौत आज ज़रूर है!नीरज नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकती तुम मेरे बीच मैं मत आओ नहीं मैं भूल जाऊंगी कि तुम मेरे पति हो हट जाओ!

उसने उसे रोकने की कोशिश कि उसने नीरज को ऐसा धक्का मारा नीरज हवा मैं उडाता हुआ जमीन पर आ गिरा और वह बेहोश हो गया!यह सब राजू की बीवी गेट के छेद से देख रही थी!उस चुड़ैल ने गेट मैं धक्का मारा और उसकी बीवी के बाल पकड़ के बोली चुड़ैल तो तू है तुने मेरा सब कुछ छीन लिया अब तुम्हें नहीं छोडूंगी उसने राजू की बीवी का कलेजा चीर के उसका दिल निकाल लिया हां हा हा हा अब मुझे थोडा सुकून मिलेगा अब की बार तेरी बारी है कहाँ छुपा है तू और हाँ गांव वालो तुम भी कान खोल के सुन लो आने वाली अमावाश को तुम भी नहीं बचोगे सब के सब मरोगे हां हां हां हां बहुत सताया है!

तुम लोगो ने और हँसती हुई जंगल की और चली गयी! सारे गांव वाले बाहर आ गए और नीरज को उठाया और उसे पानी पिला कर होश मैं लाये!उसने अपनी भाभी को मारा हुआ देख वह खूब रोया तब तक राजू भी बाहर आ गया उसने यह सब देख उसकी भी आँखों से आंशू निकल गए सारा गांव रो रहा था! सुबह उसके शव को जलाया सारे गांव वाले राजू से भला बुरा कह रहे थे कि इसकी बजह से हम सब लोग एक दिन ऐसे ही मरेंगे सारे गांव वाले हाँ इसकी ही बजह से हमारे लिए यह मुसीबत खडी हुई है!इसको तो नरक भी नहीं झेलेगा अपने ऐसे भाई के साथ तुने धोका किया है!

तो (दोस्तों यह थी एक अमावास कि रात कि एक चुड़ैल की कहानी अब सुनो आगे की दास्ताँ!कि किस प्रकार उस गांव मैं दुबारा शान्ति आई!) नीरज शांत हो जाओ भगवान् हमारी मदद जरूर करेगा ऐसा तो कोई होगा जिसे हमारी मदद के लिए भगवान् भेजेगा कोई खुदा का नेक बन्दा ही अब हमे बचा सकता है!दोस्तों जब फिल्म मैं विलन होता है! तो एक हीरो का भी होना जरूरी होता है!चाहे वो अजय देवगन हो या सुनील शेट्टी! तो सुनो कहानी का अगला पार्ट अब तो सब लोग बस भगवान् से प्रार्थना करने लगे है भगवन हमे इस मुसीबत से निकालो है प्रभु अब तो हम तुम्हारी शरण मैं है भगवान् तो बस किसी न किसी बहाने से जो लोग भूल उन्हें भूल जाते है उनको याद दिलाते है तभी तो कहते है दुख में सुमिरन सब करैं और दुःख मैं करे न कोय,और जो सुख मैं सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय!

तो दोस्तों भगवान् भी बड़े दयालु हे तुरंत छमा भी कर देते है!तो उस गांव मैं किसी की मौत आने से पहले भगवान् ने एक फरिस्ते को उस गांव मैं भेज दिया उसका नाम था विराट वह भगवान् को मानने वाला एक नेक बन्दा था!वह किसी काम से वहां से गुजर रहा था! रात होने वाली थी इसलिए उसने सोचा की क्योँ न मैं रात भर यहीं ठहर जाऊं!वह उस गांव कि और चल दिया कमर मैं तलवार लटकाए हुए राजाओं जैसे कपडे पहने हुए वह पहुंचा गांव मैं अजनबी को देख कर कुछ लोगो ने पुछा कि तुम कौन हो कहाँ से आये हो उसने कहा कि मैं विराट हूँ और किसी काम से यहाँ से गुजर रहा था रात होने वाली है तो सोचा क्योँ न मैं यहाँ रात भर रुक जाऊं एक गांव वाले ने पूछ अच्छा तुम ही वो विराट हो जिसे लोग भगवान् का भेजा हुआ फरिस्ता कहते हैं!उसने कहा हाँ कुछ लोग कहते हैं!

सब लोग उसके पैरों मैं गिर पड़े भगवान् ने हमारी सुन ली तुम जैसे फरिस्ते को भेज दिया हमे बचा लो विराट हमे बचा लो हमे उस चुड़ैल से बचा लो तुम्ही हो जो हमारी मदद कर सकते हैं!विराट अरे यह क्या कर रहे हो पहले खड़े हो जाओ फिर सब खड़े हो गए अब बताओ बात क्या है तुम इतने घबराए हुए क्योँ लग रहे हो अरे गांव अमिन एक चुड़ैल हम सबको मार डालेगी अरे मैं आ गया हूँ ना सब कुछ ठीक हो जायेगा आओ सारे बताओ मुझे क्या हुआ है तब गांव वालो ने सब कुछ बता दिया और राजू और नीरज को बुलाया और कहा राजू तुमसे जो लालच मैं जो कुछ हुआ बुरा हुआ उसे तुम भूल जाओ और हमारा साथ देकर इस गांव को बचाओ और नीरज तुम अपने बड़े भाई को माफ़ कर दो नीरज मैं तो भाई से कभी गुस्सा भी नहीं हुआ मगर आप लोगों को लगता है कि मैं गुस्सा हूँ तो भाई मुझे माफ़ कर देना और उसने राजू के पैर छु लिए राजू ने उसे उठाकर गले लगा लिया दोनो की आँखों से आंशू निकल रहे थे!

तब विराट ने कहा हमारे पास कल का वक़्त है और परसों अमावास है तुम लोगो को किस किस चीज का इंतजाम करना है!मैं बताऊँगा अब आप लोग निडर होके अपने घरों मैं सो जाइये सुबह मैं सबको बता दूंगा!विराट को गांव वालों ने बढ़िया पकवान मिठाइयाँ और खूब मेहमान नमाजी की और बढ़िया बिस्तर पर सुलाया सुबह होकर विराट ने सब गांव वालो को इकट्ठा होने को कहा थोड़ी देर मैं सारा गांव इकठ्ठा हो गया तब उसने सबको बताया हम सबको मिलकर उस चुड़ैल को मारना होगा!मैं सब को बताता हूँ हमे क्या करना है!

कल रात पूरे गांव मैं उजाला होना चाहिए कोई भी घर बिन उजाले के नहीं होना चाहिए पूरे गांव को दीपावली की तरह सजा दो और सब लोग घर से बाहर होने चहिये मेरी नजरों के सामने और राजू तुम अपने घर मैं हवन की सामग्री के साथ वहां बैठोगे मैं यहाँ से मंत्र पढूंगा और तुम आहूति दोगे और नीरज तुम जंगल मैं दो लोगो के साथ उस चुड़ैल की कब्र को खोद कर उसके शरीर को जलना होगा मैं तुम्हे कल सुबह यहीं मिलूंगा अब सब लोग तैयारी करो!उस दिन की रात कब बीते सबको यही इंतज़ार था!सुबह होते ही विराट ने सब गांव वालो को इकट्ठा किया और कहा तैयारी हो चुकी हैं गांव वाले हाँ हमने अपने घर मैं खूब सारे दीपक तैयार कर के रख दिए हैं!सारी तैयारी हो गयी हैं!

शाम होते ही उसने नीरज से कहा तुम दो लोग लेकर यह लो अभमंत्रित नीबू यह तुम्हें वह कब्र कहाँ है यह बताएगा यह जहाँ भी लाल हो जाये वही उसकी कब्र है!और यह लो लहशुन की मालायें अपने-अपने गले मैं डाल लो इससे वो तुम्हें छू भी नहीं पाएगी चाहे वो कुछ भी करे तुम डरना मत वो किसी भी तरह तुमसे इस माला को उतारने की कोशिश करेगी पर तुम यह गलती मत करना वरना वो तुम्हें मार देगी अब तुम लोग जाओ अपना ध्यान रखना वो लोग फावड़े उठाकर जंगल की और चले गए इधर सब लोग इकट्ठे होकर बैठे उस चुड़ैल का इंतज़ार कर रहे थे!

उधर राजू अपना आशन लगाये हुए हवन पर बैठा था!रात के बारह बज रहे थे कि किसी के पैरों कि आहट सुनाई दी सब लोग उधर देखने लगे तो क्या देखते हैं कि बाल फिकरे हुए सफ़ेद साडी मैं एक औरत चली आ रही है!उसने गांव मैं रात रोशनी देख वह रुकी और फिर आगे बढ़ी उसने देखा कि सारे गांव वाले बाहर बेठे हैं जैसे कि उन्हें बिलकुल डर नहीं किसी बात का वह जोर से चिल्लाई अरे मूर्खो मरने कि इतनी जल्दी है हा हा हा हा तो यह लो उसने जोर से हवा चलाई कि सारे दीपक बुझ गए सारे गांव मैं अँधेरा हो गया सारे लोग डरने लगे वह कभी इधर धिखे कभी उधर हा हा हा हा हा अब तुम सब लोग मरोगे ऐसा होते देख विराट ने कहा रुक जाओ इन गांव वालो को छोड़ मुझ से लड़ इनसे मैंने कहा था यह सब करने को चुड़ैल बोली तू कौन है! 

वह बोला मेरा नाम विराट है और तुम किसी को बिना नुकसान किये हुए यहाँ से चली जाओ वरना मुझे तुम्हे मारना पड़ेगा चुड़ैल तू मुझे मरेगा हा हा हा हा हा यह मुझे मरेगा यह ले उसने उसको अपनी शक्ति से बहुत दूर फ़ैंक दिया और वह दीवार से जा टकराया विराट आ आ आ मेरा सर लगता हे इसे सबक सीखन ही पड़ेगा उसने अपनी तलवार निकाली और उस पर हमला कर दिया वह एकदम गायब हो गयी उसका वार खाली निकल गया अब वो गायब हो गयी बस आवाज सुनाई दे रही थी!

विराट ने भगवान् से प्रार्थना की और आंखें खोली अब उसे वह चुड़ैल दिखाई देने लगी उसने अपने अपनी तलवार से उसके चोट पहुंचा दी अब वह अपने को हारता देख वह राजू की और लपकी विराट ने मंत्र पढना शुरू किये है प्रभु मैं अपने पापो को कबूल करता हूँ मुझे माफ़ कर दो मैं आगे से कभी ऐसी भूल नहीं करूंगा यही राजू दोहरा रहा था!और वह हवन मैं आहूति दे रहा था!

वह उसके ऊपर लपकी उस से पहले ही विराट ने अपनी तलवार निकाली और उसके पेट मैं घुसेड दी तलवार उसके पेट को चीरते हुए पार निकल गयी वो चिल्लाई आ आ आ वो भागती हुयी जंगल की और चली गयी उधर नीरज और उसके दोस्तों को वो कब्र मिल गयी वो उसे खोद ही रहे थे कि उन्हें किसी के चिल्लाने की आवाज आई वो समझ गए की चुड़ैल आ रही उनके खोदने की स्पीड बढाई और उस की लाश को निकाला वो उस लाश को निकाल पाए ही थे!की वह वहां आ पहुँची वो उन पर झपटी जैसे ही उसने उन पर हमला करना चाहा वह चीख कर ददोर जा गिरी वह लहसुन को देख कर दूर से ही चिल्लाये जा रही थी!

उसे मत छुओं उसे मत जलाओ तब तक विराट भी उसका पीछा करते हुए वहां आ पहुंचा उसने कहा जल्दी से इस शरीर को जला दो उनके तो हाथ काँप रहे थे माचिस भी नहीं जल रही थी और वह चिल्लाये नहीं नहीं नहीं जा रही थी नहीं मुझे छोड़ दो उसे मत जलाओ मच्चिस जलते ही उसने उसमें आग लगा दी शरीर जलने लगा और वह भी जलने लगी वो आ आ आ आ नहीं मुझे छोड़ दो मुझ पर रहम करो आ आ आ आ आ आ आ आ और वह राख के ढेर मैं परवर्तित हो गयी विराट ने उन तीनो को शाबासी दी और वह गांव वापस आ गए सारे गांव वाले अब बहुत खुश थे! सब ने विराट का धन्यवाद किया सुबह होते ही विराट ने कहा अब मुझे चलना चाहिए सब गांव वालो की आँखों में आंशु आ गए!और सब को राम-राम कर के विराट आगे बढ़ गया ।।





गुरुवार, 3 जून 2021

जून 03, 2021

Love Story in Hindi - सच्चे प्यार का मतलब ||Hindi Stories Blog

 


एक दिन आदमी को  उसकी पत्नी ने, जिसके बहोत लम्बे बाल थे उसने उसके लिए एक कंघा खरीदने के लिए कहा ताकि वो अपने बालो की अच्छे से देखभाल कर सके.

उस आदमी ने अपनी बीवी से माफ़ी मांगी और कंघी लेने से मना कर दिया. उसने समझाया की उसके पास अभी उसकी टूटी हुई घडी का पट्टा बिठाने के भी पैसे नहीं है. लेकिन फिर भी उसकी पत्नी जिद पर अडी रही.

गुस्से में वह इंसान काम पर जाने के लिए निकाल गया और जाते-जाते अचानक रास्ते में उसकी नजर एक घडी की दुकान पर पड़ी, उसने सोचा की वह उस दूकान पर अपनी घडी बेच देगा और उसकी पत्नी के लिए कंघा लेकर जायेंगा.

शाम में वो अपने हातो में कंघी लेकर अपने घर आया, पत्नी को कंघी देने ही लगा

लेकिन अचानक अपने पत्नी को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया, क्यूकी उसने अपनी पत्नी को शोर्ट-हेयर (कम बालो) में देख लिया था.

उसने अपने बालो को बेचकर अपने पति की घडी के लिए नया पट्टा ख़रीदा था.
                    

एक दुसरे के प्रति गहरा प्यार देखते हुए अचानक दोनों के आखो से आसू निकलने लगे, ये आसू उनकी ख्वाइश पूरी होने के वजह से नहीं बल्कि उनके एक-दूजे के लिए प्यार को देखकर थे.

सीख :-

प्यार करना मतलब कुछ नहीं है, प्यार करने लायक बनना थोडा बहोत अच्छा है लेकिन प्यार करने और साथ में करने लायक बनना, ये सब कुछ है. प्यार को कभी किसी का दिया हुआ अनुदान समझकर स्वीकार ना करे.

बल्कि जिस से भी हम प्यार करते है, उस से बिना किसी शर्त के, बिना किसी लालच के बिना किसी द्वेषभावना के हमेशा दिल से प्यार करते रहना चाहिये. क्यूकी जब हम किसी को दिल से प्यार करते है तब हम सामने वाले के दिल में हमेशा के लिए बस जाते है. की जब दो लोगो के बिच प्यार होता है तब वह किसी दौलत का भूका नहीं होता, वह भूका होता है तो सिर्फ स्नेहभाव का. जिस से भी हम प्यार करते है उनसे हमेशा हमें प्यार से पेश आना चाहिये. एक दुसरे के लिए समय निकलते रहना चाहिये. तभी हम हमारे रिश्ते को सफलता से आगे बढ़ा पाएंगे.

प्यार से बोला गया आपका एक शब्द दो दिलो के बिच हो रहे बड़े से बड़े मनमुटाव को भी खत्म कर सकता है. प्रेमभाव से रहना कभी-कभी हमारे लिए भी फायदेमंद साबित होता है. क्यू की कई बार जो काम हजारो रुपये नहीं कर पाते वही प्यार से बोले गये हमारे दो शब्द काम आते है.


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बुधवार, 2 जून 2021

जून 02, 2021

Funny love Story in Hindi - जब हुआ मोहब्बत का अहसास तो|| Hindi Stories Blog



 काफी समय पहले की बात है एक लड़के को एक लड़की से प्यार हो गया. वो लड़का हर रोज उस लड़की से मिलने जाता था लेकिन वह लड़की उस लड़के से प्यार नहीं करती थी.

 

उस लड़की ने हर बार उस लड़के से यहीं कहा की वह इस प्यार के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती है. लेकिन लड़का बहुत जिद्दी था वह नहीं माना और हर रोज उसकी लड़की को किसी न किसी बहाने से मिल ही लेता था. एक दिन उस लड़के ने उस लड़की का हाथ पकड़ लिया और अपने प्यार का इजहार किया लेकिन इस बार फिर लड़की ने उसके प्यार को ठुकरा दिया और वह उस लड़के से बोली - मैं तुझसे प्यार तो क्या तेरी शक्ल भी नहीं देखना चाहती.

                    

                   

लड़के ने लड़की से कहा - तुम अगले दस दिन के अन्दर खुद मुझसे मोहब्बत का इकरार करोगी. यह मेरा वादा है.


लड़का दिन - रात बारिश में धुप में उस के घर के सामने खड़ा रहा. लड़की रोज उसे छत से देखती थी.


जब नो दिन बीत गए तो लड़की को सच में लड़के की मोहब्बत का अहसास हो गया और उसने सोचा की कल सुबह यानि दसवें दिन मैं उस लड़के से प्यार का इकरार करूंगी.


जब वो सुबह घर से बहार उस लड़के को मिलने गई तो वह लड़का उसे वहां नही मिला और वहां एक कागज़ मिला जिस पर लिखा था - तेरे चक्कर में तेरी सुन्दर और सुशील बहन पट गई है इसलिए अब मुझे तुम्हारे इजहार की कोई जरूरत नहीं रही साली जी हो सके तो मुझे माफ़ कर देना...


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मंगलवार, 1 जून 2021

जून 01, 2021

Horror Story in Hindi - जंगल की चुडैल ||Hindi Stories Blog

 


एक दिन की बात हैं , ठंड का समय था घना कोहरा छाया था सारे लोग जल्दी कार्यालय का काम ख़त्म करके घर की तरफ निकल रहे थे ! नाना जी उस समय के बड़े अधिकारियों मे से एक थे ! वे उस समय के उच्च वर्ग के लोगों मे एक अमीन का काम करते थे ! रोज की तरह ही उस दिन कम ख़त्म होने के बाद घर के लिए अपनी गाड़ी से रवाना होने लगे ! रास्‍ते में उन्हे हाट से कुछ समान भी लेना था तो वे और साथियों से अलग हो गये ! उन्होने घर की कुछ जरूरत के समान लिए और गाड़ी आगे बढ़ा दी !

आगे जाने पर उन्हे कुछ मछली बाज़ार दिखा और वे मछली खरीदने के लिए रुक गये ! ताज़ी मछलियाँ लेने और देखने मे टाइम ज़्यादा ही गुजर गया ! उनकी जब अपनी घड़ी पर नज़र गई तो उन्हे आभास हुआ की आज तो घर जाने मे बहुत देर हो जाएगी और ये सब लेकर घर पहुचने मे काफ़ी समय लग जाएगा ! फिर यही सब सोच कर उन्होने सोचा कि क्यू ना जंगल के रास्ते से निकला जाए तो जल्दी पहुँच जाउँगा ! तो उन्होने अपना रास्ता बदला और जंगल की तरफ़ अपनी गाड़ी को घुमा लिया !

समय ११ बज चुका था गाड़ी तेज रफ़्तार से आगे बढ़ रहां था तभी अचनाक तेज ब्रेक के साथ गाड़ी को रोकना पड़ा !

उनकी गाड़ी के आगे एक औरतज़ोर २ से रो रही थी!

उन्होने सोचा इस वीराने मे ये औरत क्या कर रही हैं उन्हे लगा की कोई मजदूर की पत्नी होगी जो नाराज़ होकर घर छोड कर जॅंगल मे भाग आई हैं तो उन्होने उससे पूछा की यहाँ जॅंगल मे तुम क्या कर रही हो?

                  

लकिन उसने कोई जवाब न देकर और ज़ोर २ से रोने लगी!

सारे जंगल मे उसकी हूँ हूँ सी सिसकियाँ गूँज रही थी!

फिर नाना जी ने पूछा तुम्हारा घर कहाँ हैं?

लेकिन वो कुछ भी ना बोली!

तब नाना जी ने कहा की आज चलो मेरे घर मे रहना सुबह अपने घर चली जाना ये जॅंगल बहुत

सारे जंगली जानवर से भरा हे रात भर यहाँ मत रूको चलो आज मेरे घर मे सब के लिए खाना बना देना और कल सुबह अपने घर चली जाना ! उसने ये सुना तो झट से तैयार हो गई ! और गाड़ी मे पीछे की सीट पर बैठ गई!

सिर मे बड़ा सा घूँघट डालने की वजह से उसका चेहरा छिपा हुआ था ! कुछ ही देर मे गाड़ी घर के दरवाजे पे थी! घर के लोग कब से उनकी राह देख रहे थे !

गाड़ी रुकते ही पापा ने पूछा आज तो बहुत देर हो गई और सारे लोग आ भी चुके हैं ! तब उन्होने सारी बातें अपनी माँ को बताई और कहा की आज खाना इससे बनवा लो कल सुबह ये अपने घर चली जाएगी!

इतनी रात को बेचारी जंगल मे कहा भटकती ! इसलिए मैं ले आया !

पर पापा को कुछ संदेह हो रहा था की कहीं चोर तो नहीं हे रात को सोने के बाद या खाना बनाते समय कहीं घर के सामान ही चुरा कर ना ले जाए!

पर बेटे की बात को कैसे माना करती !

उन्होने उस औरत को कहा देखो आज तो मैं रख ले रही हूँ लेकिन कल सुबह होते ही यहाँ से चली जाना!

और जाओ रसोई मे ये समान उठा कर ले जाओ और खाना बना दो !

उसने फिर से जवाब नहीं दिया !

बस हूँ हूँ हूँ की आवाज बाहर आयी !

और वो सारा सामान लेकर माँ के पी छे बहुत दूर चल दी!

रसोई मे सारा सामान रखवा कर माता जी ने उसे खाना जल्दी बनाने की सख्‍त हिदायत दी!

और वहाँ से चली गई !

लेकिन उनका मन कुछ परेसान सा था !

फिर १० मिनट मे रसोरे मे उसे देखने चली गई की वो क्या कर रही हे और उसका चेहर भी देखना चाहती थी!

                  

लेकिन .....................................................................

वहाँ पहुची तो देखा की वो मछलियों का थैला निकल रही थी!

उन्होने बहुत ज़ोर से गुस्से मे कहा यहाँ सब खाने का इंतजार कर रहे हे और तुम अभी तक मछलियाँ ही निकल रही हो कल सुबह तक बनाओगी क्या?

उसके सिर पर घूँघट अभी भी था तो चेहरा देखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था !

उन्होने उससे कहा तुम जल्दी से खाने की तैयारी करो मैं आग सुलगा देती हूँ काम जल्दी हो जाएगा !

और वे जल्दी से चूल्हा जलाने की तैयारिया करने लगी !

लेकिन साथ ही वो उसका चेहरा देखने की भी कोशिश कर रही थी !

लेकिन वो जितना देखने की कोशिश करती वो और पल्लू खींच लेती! अंत मे हार कर वे बोली देखो मैने आग सुलगा दी हैं अब आगे सारा काम कर लो !

कुछ ज़रूरत हो तो बुला लेना ! लेकिन वो फिर कुछ नहीं बोली ! अब उन्हें लगा की यहाँ से जाने मे ही ठीक हैं ! वरना मेरा भी समय खराब होगा और हो सकता हैं अंजान लोगों से डर रही हो !

ये सब सोच कर उन्होंने उसे कहा की मैं आ रही हूँ जल्दी से खाना बना कर रखना !

और वहाँ से निकल गई !

मन अभी तक परेसांन ही था !

कभी अपने कमरे कभी बच्चों के कभी बाहर सब को देख रही थी, कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाए!

एक मिनट भी आराम से नहीं बैठ पाई !

अभी पाँच मिनट ही हुए थे पर उनके लिए वो घड़ी पहाड़ सी हो रही थी !

समय बीत ही नहीं रहा था !

आठ मिनट बड़ी मुश्किल से गुज़रे और वे तुरंत ही कुछ सोच कर रसोरे की तरफ दौड़ी !

और वहाँ पहुँच कर आया

जैसे ही उन्होने रसोई घर का नज़ारा देखा , उनकी आँखे फटी की फटी रह गई ! उनके पैर बिल्कुल ही जम गये ना उनसे आगे जाया जा रहा था ना ही पीछे !

उनके हृदय की धडकने रुक रही थी !

वो औरत रसोरे मे बैठ कर सारी कच्ची मछलिया खा रही थी !

सारे रसोरे में मछलियाँ और खून बिखरा पड़ा था !

उसके सिर से घूँघट भी उतरा पड़ा था !

इतना खौफनाक चेहरा आज तक उन्होने नहीं देखा था !

बाल, नाख़ून सब बढ़े हुए थे !

मछलियाँ खाने मे मगन होने की वजह से उसे कुछ ध्यान भी नहीं था !

और खुशी से कभी २ वो आवाज़े भी निकल रही थी !

हूँ हूँ सी आवाज़े गूँज रही थी !

रसोरा पिछवारे मे होने की वजह से और लोगों का ध्यान भी इधर नही आ रहा था !

माँ को भी कुछ नहीं समझ आ रहा था , कि चिल्लाने से कहीं घर के लोगों को नुकसान ना पहुचाए !

वो चुड़ैल से अपने घर को कैसे बचाए उन्हे समझ नहीं आ रहा था !

बस भगवान का नाम ही उनके दिमाग़ मे आ रहा था !

अचानक वे आगे बढ़ने लगी उसकी तरफ !

और झट से एक थाल लिया और चूल्‍हे की तरफ दौड़ी ! उस चुरैल की नज़र भी पापा पर पड़ चुकी थी सो वो भी कुछ सोच कर उठी अपनी जगह से !

माँ कुछ भी देर नहीं करना चाहती थी , उन्हे पता था की आज अगर ज़रा सी भी लापरवाही हुई तो अनहोनी हो जाएगी !

                   

उस चुरैल के कुछ करने से पहले ही उन्हे चूल्‍हे तक पहुचना था !

और चूल्‍हे के पास पहुँच कर उन्होने जलता हुआ कोयला थाल मे भर लिया !

और चुड़ैल की तरफ लेकर जोर से फेंका !

आग की जलन की वजह से वो अजीब सी डरावनी आवाज़े निकालने लगी !

अब तो उसकी आवाज़े बाहर भी जा रही थी सारे लोग बाहरसे रसोरे की तरफ भागे !

वो चुड़ैल ज़ोर से हूँ हूँ जोर की आवाज़ निकल रही थी और पूरे रसोरे मे दौड़ रही थी और माता जी को पकड़ना भी चाह रही थी !

लेकिन अब सारे लग रसोरे मे आ चुके थे काफी लोगों की भीड़ देख कर वो और भी डर गयी थी !

लोंगों की भीड़ को थेलती हुई वो बाहर जॅंगल की तरफ भाग गये

और सारे लोग ये मंज़र देख कर डरे साहमे से खड़े थे ! और मन हीं मन माता जी की हिम्मत की दाद दे रहे थे

तो ऐसे छूटा चुरैल से पीछा !


Story by Hindi Stories Blog


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